नई दिल्लीः गरीबी में लगातार कमी के चलते भारत अब दुनिया में सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नहीं रहा है. अमेरिका के शोध संस्थान ब्रूकिंग्स ने अपने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है. फर्म के ब्लॉग में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक 2018 की शुरुआत में ही अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रही सबसे बड़ी आबादी के लिहाज से नाइजीरिया, भारत से आगे निकल गया. यही नहीं कांगो जल्द ही इस सूची में दूसरे नंबर पर आ सकता है.


अध्ययन में कहा गया है ,‘हमारे अनुमान के अनुसार मई 2018 के आखिर में नाइजीरिया में लगभग 8.7 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे. भारत में यह संख्या 7.3 करोड़ है.’ इसके मुताबिक नाइजीरिया में हर मिनट छह लोग अत्यधिक गरीबी के दायरे में आते जा रहे हैं जबकि भारत में गरीबी लगातार कम हो रही है.


अध्ययन में 2030 तक दुनिया से गरीबी मिटाने के लक्ष्य को हासिल करने में संभावित दिक्कतों और चुनौतियों का भी जिक्र है. इसके अनुसार 2016 की शुरुआत में लगभग 72.5 करोड़ लोग अति गरीब थे. ‘लक्ष्य को पाने के लिए हमें प्रति सेकेंड 1.5 लोगों को गरीबी से निकालना था जबकि हमारी गति केवल 1.1 व्यक्ति प्रति सेकेंड की है.’ इसके अनुसार गरीबी उन्मूलन की गति धीमी होने के कारण हमारे लिए 2030 तक का लक्ष्य काफी मुश्किल होता जरा है.


संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित टिकाऊ विकास लक्ष्य के तहत 2030 तक दुनिया से गरीबी मिटाना है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि ने इस अध्ययन पर कहा कि विकास पर उच्च खर्च और ऊंची वृद्धि दर से भारत में अति गरीबी तेजी से घटी है.