भारत के प्रधानमंत्री 6 और 7 सितंबर को इंडोनेशिया के दौरे पर हैं. वे इंडोनेशिया के जकार्ता में हो रही 20वीं आसियान समिट में शामिल होने के लिए वहां पहुंचे हैं. इस समिट के 1 दिन बाद ही यानी 9 और 10 सितम्बर को भारत में जी-20 सम्मेलन होने वाला है. इस सम्मेलन में दुनिया के 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे.
जी 20 समिट भारत के लिए खास भी है क्योंकि इस बार यह सम्मेलन भारत में होने जा रहा है और भारत इसकी अध्यक्षता भी कर रहा है. ऐसे में इतने व्यस्त होने के बावजूद पीएम के इंडोनेशिया जाकर भारत ने ये कर दिया है कि वह आसियान देशों के साथ ही है.
इसके इस समिट में शामिल होने की एक वजह ये भी है कि भारत ने पिछले साल ही आसियान देशों के साथ कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप साइन की है.
इंडोनेशिया चाहता है भारत का साथ
इंडोनेशिया और भारत का रिश्ता कोई पुराना नहीं है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी इंडोनेशिया के आसियान समिट में पहुंचे हैं जहां साल 1965 में कभी भारत के दूतावास पर हमला हुआ करता था. दूतावास पर हमला करने वाली भीड़ ‘क्रश इंडिया’ के नारे लगाती है.
हालांकि उस वक्त हुए इस हमले के पीछे इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो का हाथ बताया गया था.
उस वक्त भारत के दूतावास पर हमला करने की एक वजह ये भी थी कि साल 1963 से 1966 तक इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच सीमा विवाद छिड़ी हुई थी और इस जंग में भारत मलेशिया का सपोर्ट दे रहा था. इसके बाद इसी जंग में इंडोनेशिया को चीन का साथ मिला था.
इस घटना को 50 साल से भी ज्यादा हो गए है. इन सालों में वैश्विक राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है. एक वक्त था जब चीन इंडोनेशिया का समर्थन कर रहा था, लेकिन अब इंडोनेशिया चीन के जाल में फंसने से बचने के लिए भारत का साथ चाहता है.
चीन ने बना लिया है साउथ चाइना सी में अपना दबदबा
दरअसल चीन ने साउथ चाइना सी में अपना दबदबा बना लिया है और चीन के इस हरकत पर आसियान के 10 में से 5 देशों को आपत्ति है. वो पांच देश हैं मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और बुनाई. अब इन पांच देशों को चीन को चुनौती देने के लिए हथियारों की जरूरत है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार साल 2023 के रिपोर्ट के मुताबिक साउथ ईस्ट एशियाई देशों का मिलिट्री खर्च पिछले दो दशकों को दोगुना हो गया है. साल 2000 में ये देश अपनी सुरक्षा पर 1.67 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहे थे जो 2021 में बढ़कर 3.57 हजार करोड़ रुपये हो चुका है.
इसके साथ ही मिलिट्री पर किए गए खर्च में सबसे ज्यादा तेजी साल 2013 में देखने को मिली है. ये वहीं साल था जब साउथ चाइना सी के इलाके में अपना दबदबा कायम करने के लिए चीन ने घुसपैठ करना शुरू कर दिया था.
भारत क्यों कर रहा आसियान देशों की मदद?
वहीं दूसरी तरफ भारत भी इस बाजार में अपनी जगह स्थापित करने के लिए काफी रफ्तार से काम कर रहा है. साउथ चाइना सी बाजार में एंट्री करने से भारत को दो फायदे हैं.
पहला फायदा ये है कि आसियान देशों को हथियार देकर भारत चीन का ध्यान हिंद महासागर से हटाकर साउथ चाइना सी की तरफ कर देना चाहता है और दूसरा फायदा है कि आसियान देशों की मदद करने से भारत चीन को उनके ही क्षेत्र में घेर सकता है.
साल 2023 के मार्च 2023 में भारत की ब्रह्मोस एयरोस्पेस कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार भारत इंडोनेशिया को सुपरसोनिक मिसाइल देने के लिए तैयार है. इस हथियार को लेकर दोनों देशों के बीच 16 हजार करोड़ रुपए की डील के लिए शुरुआती दौर की बातचीत की जा चुकी है.
वहीं दूसरी तरफ फिलीपींस ने भी हथियार लेने के लिए भारत से 31 हजार करोड़ रुपए की डील कर ली है.
तेजस हथियार को लेकर हो सकती है बातचीत
साल 2023 के फरवरी महीने में ही भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने जानकारी दी कि 4 देश भारत से लड़ाकू विमान तेजस खरीदना चाहता है और वह देश इस सिलसिले में भारत से संपर्क भी कर रहा है. इन देशों का नाम अर्जेंटीना, मिस्र और बोत्सवाना के साथ आसियान देश मलेशिया भी शामिल था. हालांकि उस वक्त ये डील नहीं हो पाई.
मिली जानकारी के अनुसार इस आसियान समिट में भारत आसियान देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने के लिए डिफेंस एक्सपोर्ट का टारगेट 6 बिलियन डॉलर रखा है. HAL अब फिलीपींस को तेजस बेचने के लिए बातचीत कर रहा है. भारत ने मलेशिया में HAL का ऑफिस भी खोला है.
अब जानते हैं कि आखिर ये आसियान है क्या
आसियान (ASEAN) का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है. यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन है. इस संगठन को 1967 में बनाया गया था. जब यह संगठन बना था तब पांच देश इसके सदस्य थे. ये पांच देश हैं मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड.
साल 1990 में हुए कोल्ड वार के बाद इस संगठन में पांच और नए देश को शामिल किया गया. ये पांच देश थे कंबोडिया, वियतनाम, ब्रुनेई, लाओस और म्यांमार.
क्या है आसियान समिट का उद्देश्य?
आसियान का वर्तमान अध्यक्ष इंडोनेशिया है और इस समिट की दो महत्वपूर्ण बैठक हैं. भारत द्वारा 9-10 सितंबर के दौरान नई दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी से कुछ दिन पहले आयोजित की जाएगी.
बता दें कि आसियान समूह में दस सदस्य देश हैं- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम. भारत अभी इस समूह का सदस्य नहीं है.