नई दिल्ली: 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता की कुर्सी संभाली. आज मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के तकरीबन 4 साल पूरे कर लिए हैं. इन चार सालों में देश ने काफी कुछ देखा. लेकिन इस बीच सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता का दौर तेजी से आया. लेकिन अब यहां सवाल ये उठता है कि विश्व स्तर पर भारत की स्थिती क्या है. तो एक नए सर्वे के मुताबिक भारत सहिष्णु देशों की लिस्ट में चौथे स्थान पर है. इस लिस्ट में पहले स्थान पर जहां कनाडा हैं तो वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर चीन और मलेशिया हैं.


इप्सोस मोरी ( Ipsos MORI) द्वारा आयोजित एक सर्वे में 27 देशों ने हिस्सा लिया था. जिसमें इस स्टडी के लिए कुल 20, 000 लोगों का इंटरव्यू हुआ था. इसमें उन तथ्यों को सामने लाने की कोशिश की गई जो नागरिकों के मुताबिक समाज को बांटते हैं.


क्या है Ipsos MORI


Ipsos MORI लोग, बाजार और समाज के बारे में उत्सुकता से सर्वे कराने वाली एक कपंनी है. ये सूचना और विश्लेषण प्रदान करती है. जिससे प्रश्नों के उत्तर और बेहतर निर्णय लिए जा सकते हैं. विश्व के विभिन्न देशों में इसके कार्यालय मौजूद हैं.


सहिष्णु देशों में भारत चौथे नंबर पर


सहिष्णुता के पैमाने पर नए सर्वे का रिजल्ट सामने आया है. इसके मुताबिक भारत सहिष्णु देशों की लिस्ट में चौथे स्थान पर है. सर्वे के मुताबिक 63 फीसदी भारतीय अलग-अलग बैकग्राउंड्स, संस्कृति या दृष्टिकोण वाले लोगों के पॉइंट पर भारत को सहिष्णु देश मानते हैं.


सर्वें में भारतीय लोगों की राय


सर्वे के मुताबिक भारत में 49 फीसदी लोगों को लगता है कि राजनीतिक विचारों में मतभेद तनाव का का कारण बनते हैं. 48 फीसदी लोग इसके लिए धर्म जबकि 37 फीसदी लोग सामाजिक-आर्थिक गैप को वजह मानते हैं. सर्वे के मुताबिक 53 फीसदी भारतीयों को लगता है कि दूसरे बैकग्राउंड, संस्कृति या दृष्टिकोण वाले लोगों से मेलजोल पर आपसी समझ और सम्मान की भावना पैदा होती है.


हंगरी देश के लोग सबसे कम सहिष्णु


वहीं हंगरी के लोग अपने देश को सबसे कम सहिष्णु मानते हैं. इसके बाद साउथ कोरिया और ब्राजील का स्थान है.


सर्वे में दूसरे देशों की राय


विश्व भर के तीन चौथाई लोगों को लगता है कि उनके देश में समाज पहले की अपेक्षा अधिक बंटा हुआ है. विशेषकर यूरोप के लोग मानते हैं कि पिछले 10 वर्षों की तुलना में उनके देश में असहिष्णुता बढ़ी है. वहीं राजनीतिक विचारों में मतभेद को सबसे अधिक असहिष्णुता का कारण बताया गया है जबकि अमीरी और गरीबी इसके बाद आते हैं. जो देश विभाजन के बारे में सबसे ज्यादा चिंतित हैं उनमें सर्बिया के ज्यादातर लोग (93%) कहते हैं कि उनका समाज विभाजित है.


इसके बाद पेरू और चिली (दोनों 90%), सऊदी अरब (34%) चीन (48%) और जापान (52%) का स्थान आता है. इसी प्रकार सर्वेक्षण में पाया गया कि स्पेन के 77% लोगों का मानना है कि उनके देश में पिछले 10 वर्षों में समाज में विभाजन बढ़ा है.