Indus Waters Treaty: भारत सरकार ने सिंधु जल संधि में बदलाव की मांग की है. भारत सरकार ने इस संबंध में पाकिस्तान को एक नोटिस भी भेजा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नोटिस में कहा गया कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सिंधु जल संधि को बरकरार रखना संभव नहीं. भारत ने इस सिंधु जल संधि में बदलाव किए जाने की भी बात कही है. 


भारत सरकार से जुड़े शीर्ष सूत्रों ने पाकिस्तान को भेजे नोटिस के बारे में जानकारी दी है. बताया गया कि भारत ने साफ कहा कि 1960 से ही ये संधि चल रही है और अब इसके विभिन्न अनुच्छेदों का वास्तविक मूल्यांकन होना चाहिए. भारत ने पाकिस्तान को 30 अगस्त को संधि से जुड़ा नोटिस भेजा.


भारत ने नोटिस में क्या मांग की?


भारत में नोटिस में लिखा कि सिंधु नदी के पानी का उपयोग और जनसांख्यिकी में बदलाव हो रहा है, भारत स्वच्छ ऊर्जी की तरफ अग्रसर है और जरूरी है कि संधि में बदलाव पर विचार हो. भारत ने आतंकवाद का जिक्र करके भी पाकिस्तान को लताड़ लगाई. भारत ने कहा कि पाकिस्तान लगातार हमारी उदारता का अनुचित लाभ उठाने में जुटा है. 


सिंधु जल संधि की खास बातें


- 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई. वर्ल्ड बैंक ने इस संधि की मध्यस्थता की. कराची में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए. 


- संधि के तहत सिंधु नदी के पानी का बंटवारा हुआ. सिंधु नदी तंत्र की तीन पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, और ब्यास) का पानी भारत को और तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, और चिनाब) का पानी पाकिस्तान को मिला.


-भारत को पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर (आरओआर) परियोजनाओं के जरिए बिजली बनाने का भी अधिकार प्राप्त है.





- संचार के लिए एक चैनल बनाए रखने और संधि के कार्यान्वयन के लिए एक स्थायी सिंधु आयोग का गठन किया गया. हर साल कम से कम एक बार आयोग की बैठक आयोजित होती है और यह बैठक बारी-बारी भारत और पाकिस्तान में होती है.