नई दिल्ली: भारत और जापान के बीच 75 अरब डॉलर का द्विपक्षीय करेंसी स्वैप समझौते पर दस्तखत हुए हैं. इससे भारत के बाजार में अधिक स्थिरता लाने और विदेशी मुद्रा के मुकाबले रुपये की कमज़ोरी दूर करने में मदद मिलेगी. इस व्यवस्था के सहारे भारत अपनी विकास ज़रूरतों के लिए विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल कर सकेगा बल्कि अपनी सुविधा और आवश्यकता के मुताबिक ढांचागत परियोजनाओं में भी इसे लगा सकेगा.
सरल शब्दों में कहें तो यह समझौता भारत और जापान को रुपए-येन में कारोबार की इजाजत देता है. दोनों देश करीब 75 अरब डॉलर का आपसी व्यापार रुपए और येन में कर सकते हैं. इससे भारत को अपने विदेशी मुद्रा कोष में महंगे होते डॉलर की बचत में मदद मिलेगी साथ ही करंट अकाउंट डेफिसिट या चालू खाते का घाटा कम करने में भी सहूलियत होगी.
दोनों नेताओं के बीच शिखर स्तर की बातचीत के बाद भारत-जापान की साझा सोच पर जारी बयान में कहा गया है, ‘‘वित्तीय तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के दृष्टिकोण से जापान और भारत की सरकारें 75 अरब डालर के द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली समझौते (बीएसए) पर सहमति का स्वागत करती हैं.’’ वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘अदला-बदली समझौते से भारत विदेशी विनिमय और पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता आएगी. इस सुविधा के तहत भारत को जापान से उक्त राशि के बराबर विदेशी पूंजी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.’’ दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की संभावना को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने पिछले चार साल में हासिल उल्लेखनीय उपलब्धियों की समीक्षा की.