भारत सरकार की लगातार जारी कोशिशों के बीच देश ने 2 सालों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 53 स्थानों की अहम बढ़त हासिल की है.
पिछले कुछ सालों में भारत की रैंकिंग ये रही है
साल 2018 - 77वां रैंक
साल 2017 - 100वां रैंक
साल 2016 - 130वां रैंक
साल 2015 - 130वां रैंक
साल 2014 - 142वां रैंक
कारोबार की सुगमता (ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस) के मामले में आई विश्व बैंक की रिपोर्ट में 23 रैंकों के सुधार के बाद सरकार का दावा है कि सरकार पीएम मोदी द्वारा तय किए गए लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रही है. मोदी ने भारत की रैंकिंग 50 तक करने का लक्ष्य तय किया है.
रैंकिंग को 50 के अंदर लाना है लक्ष्य
रिपोर्ट की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने याद दिलाया कि सत्ता संभालने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत की रैंकिंग को 50 के अंदर लाने का लक्ष्य रखा था. जेटली के मुताबिक़ भारत तेज़ी से उस लक्ष्य की तरफ़ बढ़ रहा है. वित्त मंत्री के मुताबिक़ भारत अभी भी दस पैमानों में से एक 'नया कारोबार शुरू करने की प्रक्रिया' के मामले में काफ़ी पीछे है जिसमें बड़ी सुधार की ग़ुंजाइश है. इस मामले में 2014 में जहां भारत 158वें स्थान पर था वहीं इस साल 137वें स्थान पर पहुंचा है यानि केवल 21 स्थानों का सुधार. इसके अलावा कर्ज़ लेने और टैक्स चुकाने की प्रक्रिया में भी और ज़्यादा सुधार किए जाने की ज़रूरत है.
अब ज़िला स्तर पर रैंकिंग की तैयारी
सरकार का इरादा अब राज्यों और ज़िला के स्तर पर भी कारोबार को आसान बनाने के मामले में प्रतिस्पर्धा शुरू करने का है. इस मामले में तो राज्यों की रैंकिंग शुरू हो चुकी है लेकिन अब ज़िला स्तर पर भी रैंकिंग शुरू करने की योजना चल रही है. वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसके लिए पहले चरण में कुछ चुनिंदा ज़िलों की पहचान कर इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने का प्रस्ताव है. सुरेश प्रभु ने कहा 'अगर सभी ज़िला और राज्य अपने यहां कारोबार को आसान बनाते हैं तो इसका सीधा असर भारत की रैंकिंग पर भी पड़ेगा.'
ईज ऑफ डूईंग बिजनेस
ईज ऑफ डूईंग बिजनेस से अर्थ है कि देश में कारोबार करने में कारोबारियों को कितनी आसानी होती है. कारोबार के नियामकों और उनके नियमों के मुताबिक 10 मानकों पर कारोबार करने की शर्तों को देखा जाता है कि किसी देश में ये कितना आसान या मुश्किल है. डूईंग बिजनेस रैंकिंग डिस्टेंस टू फ्रंटियर (डीटीएफ) के आधार पर तय किया जाता है और ये स्कोर दिखाता है कि वैश्विक मानकों पर अर्थव्यवस्था कारोबार के मामले में कितना अच्छा प्रदर्शन कर रही है. इस साल भारत का डीटीएफ स्कोर पिछले साल के 60.76 से बढ़कर 67.23 पर आ गया है.
कारोबार की सुगमता में किसी देश की रैंकिंग के जो 10 पैमाने होते हैं उसके 10 में से 7 संकेतकों में विश्व के सबसे अच्छे मानकों के भारत और करीब पहुंच गया है. पहले ये 10 में से 6 मानकों के सबसे अच्छे होने की स्थिति में था. हालांकि सबसे अच्छी बात ये है कि निर्माण की गतिविधियों के पैमाने पर देश ने सबसे अच्छी प्रगति हासिल की है और ये सीमाओं के पार भी फैल रहा है.
सरकार निर्माण गतिविधियों को मंजूरी देने के मामले में लगातार सुधार दिखा रही है. साल 2018 में इस मामले में भारत की रैंक सुधरकर 181वें स्थान से 52वें स्थान पर आ गई है और अकेले साल में 129 स्थानों की ये छलांग काफी अहम साबित हो रही है. ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के मामले में भारत की रैंकिंग के सुधरने के पीछे इसका बड़ा हाथ है. सीमाओं के पार निर्माण गतिविधियों में भारत की रैंक में 66 स्थानों का सुधार आया है और साल 2018 में ये 146वें स्थान से 80वें स्थान पर आ गया है.