महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक... काल के गाल में समा रहे टाइगर, 39 दिनों में 24 की मौत
India Lost Tigers In 39 Days: एनटीसीए के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012-2022 के बीच जनवरी में 128 बाघों की मौत हुई, जबकि मार्च में 123 और मई में 113 मौतें हुईं.
India Lost 24 Tigers: देश में बाघों की सुरक्षा से जुड़े कुछ चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं. भारत ने इस साल सिर्फ एक महीने के थोड़े समय में ही यानी 1 जनवरी से 8 फरवरी के बीच 24 बाघों को खो दिया है. यह पिछले तीन सालों में बाघों की मौत की सबसे बड़ी संख्या है. साल के शुरुआत होते ही इतनी बड़ी संख्या में बाघों की मौत एक चौकानें वाला आंकड़ा है.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) से मिले डेटा से पता चलता है कि पिछले साल इसी समय में 16 बाघों की मौत हुई थी, जबकि 2021 में इसी अवधि में 20 बाघों की मौत हुई थी. वहीं, इस साल बाघों की सबसे ज्यादा 24 बाघों की मौत हुई है. जिनमें मध्य प्रदेश से नौ, उसके बाद महाराष्ट्र से छह, राजस्थान से तीन, कर्नाटक से दो, उत्तराखंड से दो और असम और केरल से एक-एक बाघ शामिल है.
देश भर में है 3,000 से अधिक बाघों की आबादी
पिछले एक दशक में जनवरी में सबसे ज्यादा बाघों की मौत हुई है. एनटीसीए के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012-2022 के बीच जनवरी में 128 बाघों की मौत हुई, जबकि मार्च में 123 और मई में 113 मौतें हुईं. इनमें से अधिकांश 'प्राकृतिक कारणों' के कारण बताई जाती हैं. इसके साथ ही कुछ मौतें टाइगर के क्षेत्रीय झगड़े और उम्र बढ़ना शामिल है.
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि वे अवैध शिकार के संबंध को पता लगाने के लिए डेटा की जांच कर रहे है. देश भर में 3,000 से अधिक टाइगर की आबादी को देखते हुए, कुछ की मौत सामान्य है, लेकिन कम समय में टाइगर की इतनी ज्यादा संख्या में मौतें चिंता का विषय है. एनटीसीए के एक अधिकारी ने कहा कि मौतों का पता लगाने के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार उनकी जांच की जा रही है.
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