LCH In IAF: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) में सोमवार 3 अक्टूबर को स्वदेश में विकसित हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर यानि लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (LCH) को शामिल कर लिया गया. जोधपुर एयरबेस (Jodhpur Airbase) में रखे गए एक कार्यक्रम में पूजा पाठ के साथ-साथ मंत्रोच्चारण किया गया. उसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और वायुसेना के अधिकारियों की मौजूदगी में एलसीएच को सेना को सौंप दिया गया. यहां इसको एक नाम भी दिया गया प्रचंड (Prachand).


इस लड़ाकू हेलिकॉप्टर के वायुसेना में शामिल होने पर पाकिस्तान और चीन दोनों देशों की हालत खराब होने वाली है. स्वदेश में विकसित एलसीएच प्रचंड दोनों देशों की नींद उड़ा देने वाला है. दरअसल, प्रचंड को अधिक ऊंचाई वाली जगहों पर तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है. खासकर पाकिस्तान और चीन के पहाड़ी इलाकों में दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए ये हेलिकॉप्टर काफी मददगार साबित होगा.


एलसीएच प्रचंड की जरूरत क्यों


असल में जहां पर फाइटर जेट सटीक हमला नहीं कर सकते हैं, उन जगहों के लिए इन्हें डिजायन किया गया है. ऐसी जगहों पर इन हेलिकॉप्टर्स की मदद ली जा सकती है. फाइटर जेट से कम गति में ज्यादा सटीक और घातक हमला करने में एलसीएच हेलिकॉप्टर्स होते हैं. फाइटर जेट इन हेलिकॉप्टर्स के मुकाबले ज्यादा गति में उड़ते हैं.


सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन्स में अटैकर हेलिकॉप्टर ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं. एलसीएच प्रचंड के वायुसेना में शामिल होने के बाद पश्चिमी सीमा और सुरक्षित हो गई है. सीमापार से किसी भी तरह की नापाक हरकत होती है तो ये हेलिकॉप्टर निगरानी के साथ तुरंत मुंहतोड़ जवाब दे पाएंगे.


हेलिकॉप्टर नहीं, उड़ती हुई मौत है एलसीएच प्रचंड


एलसीएच की जरूरत करगिल वार के दौरान बहुत महसूस हुई. तब लगा था कि भारतीय सेना के पास एक ऐसा हेलिकॉप्टर होना चाहिए जिससे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों पर हमला किया जा सके.


इसका मुख्य काम होगा कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू यानी युद्ध के समय अपने सैनिकों की खोज और उन्हें बचाना. दुश्मन के हवाई डिफेंस को खत्म कर देना. घुसपैठ को रोकना. ड्रोन आदि को मार गिराना. इसके अलावा अधिक ऊंचाई पर मौजूद दुश्मन के बंकरों को ध्वस्त करना.


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