नई दिल्ली: भारत को जल्द तीन ऐसी वैक्सीन मिल सकती है, जिन्हें 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को दिया जा सकेगा. नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ वी के पॉल के मुताबिक फाइजर की वैक्सीन के अलावा भारत की दो स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और जायडस की वैक्सीन जिनका बच्चों पर ट्रायल चल रहा है, वो पूरा हो सकता है. ऐसे में एक नहीं तीन वैक्सीन होंगी, जो बच्चों को दी जा सकेंगी.


भारत में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो बच्चों में ज्यादा संक्रमण हो सकता है, ऐसी बात कही जा रही है. ऐसे में क्या भारत को फाइजर की वैक्सीन मिलेगी तो बच्चों को टीका लगाया जाएगा. इस बारें में क्या सोच रही है भारत सरकार. क्या फाइजर अगर भारत को कोरोना वैक्सीन देती है तो क्या भारत सरकार 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ये वैक्सीन लगाएगी? क्योंकि अमेरिका में 12 साल ज्यादा उम्र के बच्चों को वैक्सीन दी जा है. जब ये सवाल नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ पॉल से पूछा गया तो उन्होंने कोई साफ जवाब नहीं दिया, लेकिन ये बता दिया कि एक नहीं, बल्कि तीन वैक्सीन है जो बच्चों दी जा सकती है.


डॉ पॉल के मुताबिक अगर फाइजर भारत को अपनी वैक्सीन देता है, तो उस टीके के अलावा भारत में दो और स्वदेशी वैक्सीन है. इन दोनों वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल जल्द पूरा हो जाएगा. ये वैक्सीन है भारत बायोटेक की कोवेक्सीन और Zydus की वैक्सीन. 


डॉ वी के पॉल ने कहा, "इसलिए जब हम रणनीति बनाते हैं, तो हमें इसे ध्यान में रखना होगा. पहला कौन सा टीका देना है. उस पर मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि न केवल कोवैक्सिन बाल परीक्षण कर रहा है और उन्हें अधिक समय नहीं लगेगा यह केवल इम्यूनोजेनेसिटी परीक्षण है, लेकिन ज़ायडस के टीके का पहले से ही बच्चों में परीक्षण किया जा रहा है. इसलिए जब ज़ायडस लाइसेंस के लिए आएगा तो उम्मीद है कि अगले दो हफ्तों में यह देखने के लिए पर्याप्त डेटा हो सकता है कि क्या यह टीका बच्चों को दिया जा सकता है. मुझे लगता है कि संक्षिप्त उत्तर वैक्सीन A वर्तमान में उपयुक्त है, वैक्सीन B कतार में पीछे है, लेकिन एक बार आपको इस तरह का निर्णय लेना है तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि मैं किसको कवर करने की कोशिश कर रहा हूं. और इसके लिए क्या इतनी डोज उपलब्ध हैं."


डॉ वी के पॉल के मुताबिक भारत में अगर 12 से 18 साल के उम्र के बच्चों की बात करें तो उनकी संख्या करीब 13 से 14 करोड़ है. ऐसे में दो डोज के हिसाब से करीब 28 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी. वहीं कुछ को मिले कुछ नहीं ऐसा नहीं हो सकता है, इसलिए एक साथ इतनी डोज की जरूरत होगी.


डॉ वी के पॉल ने बताया, "बच्चों के लिए कौन सा टीका लगाना है, कृपया याद रखें कि चाइल्ड कॉहोर्ट छोटा नहीं है. मेरा अनुमान है कि यह 12 से 18 साल के बीच ही 13 से 14 करोड़ है, जिसका मतलब है कि आपको 28 करोड़ खुराक की जरूरत है और हम ऐसा नहीं चाहते कि कुछ लोगों को मिले और कुछ को नहीं. इसलिए जब हम रणनीति बनाते हैं तो हमें इसे ध्यान में रखना होगा."


फिलहाल भारत की दोनों स्वदेशी वैक्सीन का बच्चों में ट्रायल चल रहा है. डॉ पॉल के मुताबिक जहां भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का बच्चों में ट्रायल जल्द पूरा होने की संभावना है वहीं अगले दो हफ्तों में ज़ायडस की वैक्सीन लाइसेंस के लिए आ सकती है, जिसका बच्चों पर ट्रायल हो चुका है और इसका डेटा भी होगा. वहीं फाइजर की वैक्सीन की बात करें तो भारत सरकार की बातचीत जारी है और इसके भी जल्द बाजार में आने की उम्मीद है. 


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