अगर कोरोना वायरस के प्रसार को तत्काल रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए, तो नतीजा भवायह हो सकता है. लांसेट कोविड-19 कमीशन की तरफ से रिपोर्ट में सनसनीखेज पूर्वानुमान लगाया गया है. रिपोर्ट की प्रारंभिक समीक्षा के मुताबिक, भारत में कोरोना वायरस से जुड़ी 1,750 मौत रोजाना हो सकती है और आंकड़ा बढ़ कर जून के पहले सप्ताह तक 2,320 रहने का अनुमान लगाया गया है.
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले राज्य हैं. रिपोर्ट का शीर्षक है, 'भारत की दूसरी कोविड-19 लहर का नियंत्रण.' रिसर्च से ये भी संकेत मिलता है कि दूसरी लहर भौगोलिक रूप से अब तक बंधी हुई है.
एसिम्पटोमैटिक मामले महामारी को बढ़ा रहे
दूसरी लहर पहली लहर से दो महत्वपूर्ण तरीकों में अलग है. पहला, कोरोना वायरस के ताजा मामलों में बढ़ोतरी की दर काफी अधिक है. फरवरी से रोजाना नए 10,000 मामले उछलकर अप्रैल तक 80,000 आने में 40 दिन से भी कम लगे जबकि पिछले साल सितंबर में 83 दिन लग गए थे. दूसरा, कोरोना वायरस के मामले एसिम्टोमैटिक या हल्के लक्षण वाले हैं, जो अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की कम दर के लिए तुल्नामत्क रूप से वजह बन रहे हैं. ये पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि क्या एसिम्पटोमैटिक मामलों की उच्च अनुपात सिर्फ कंटैक्ट ट्रेसिंग, मिसाल के तौर पर ज्यादा पारिवारिक सदस्यों की जांच के कारण किया जा रहा है.
ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना सबसे महत्वपूर्ण
आर्थिक रूप से भारत को टेस्टिंग पर 7.8 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सभी प्रयास ट्रांसमिशन चेन को तोड़ने के लिए और नए संक्रमण की दर को कम करने के लिए करने की जरूरत होगी, अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका को कम से कम प्रभावित किए बिना. रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाना बुनियाद है.
सख्त उपाय वक्त की अहम जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया, 'पिछले साल से हमें सबक मिला है कि भारत के अंदर और अन्य देशों में मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति बेहतरीन नतीजे दे सकते हैं. हमें उम्मीद है कि अब उठाए गए मजबूत, ठोस पहल भारत को दूसरी लहर से दूर छोड़ देंगी और कोविड-19 संक्रमण के अतिरिक्त लहर को रोकने में निर्धारित करेंगी.
बड़े पैमाने पर टीकाकरण ट्रांसमिशन को रोकने की बुनियाद
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए रिपोर्ट में सलाह है कि 45 साल से नीचे के सभी व्यस्कों को टीकाकरण सुनिश्चित कराना, निर्माण क्षमता को तेज करना और अन्य लोगों में वैक्सीन संकोच दूर करने की जरूरत होगी.
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