नई दिल्ली: असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक पर लाए गए ऑर्डिनेंस पर करारा हमला बोला है. हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा है कि ये अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि ये अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं को न्याय नहीं दिलाएगा. ओवैसी ने कहा कि इस्लाम में शादी एक नागरिक अनुबंध और इसे सज़ा का प्रावधान लाना ग़लत है. ओवैसी ने ये तक कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम महिलाओं को इसे सु्प्रीम कोर्ट में चैलेंज करना चाहिए.


ओवैसी ने तो इस अध्यादेश को असंवैधानिक तक कह डाला है. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख ने कहा कि ये अध्यादेश संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ है क्योंकि ऐसा कानून सिर्फ मुस्लिमों के लिए बनाया जा रहा है.





तीन तलाक मोदी सरकार के लिए ‘राजनीतिक फुटबाल’
एआईएमआईएम अकेली पार्टी नहीं है जिसने इस मामले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने भी एक बार में तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से आज अध्यादेश लाए जाने के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस सरकार के लिए यह मामला मुस्लिम महिलाओं को न्याय का नहीं, बल्कि ‘राजनीतिक फुटबाल’ का है.


पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘तीन तलाक एक अमानवीय प्रथा थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. जब न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया तो यह कानून बन गया. हमारे लिए यह हमेशा से मानवीय मामला और महिलाओं को अधिकार दिलाने का मामला रहा है. हमारे कई नेताओं ने न्यायालय में महिलाओं की पैरवी भी की.’’


उन्होंने कहा, ‘‘अब मामला मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ते का है. यह पति की संपत्ति से मिलना चाहिए ताकि इन महिलाओं और उनके बच्चों को भरण-पोषण हो सके. जो पति गुजारा-भत्ता नहीं दे उसकी संपत्ति की कुर्क की जाए.’’


सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी जी नहीं चाहते कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले. हमने गुजारा भत्ते का सुझाव दिया. मोदी सरकार ने इसे नहीं माना. मोदी सरकार के लिए यह मामला राजनीतिक फुटबाल है और मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय का मामला नहीं है.’’


अध्यादेश को मिली मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दी है. ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है. फिलहाल यह राज्यसभा में लंबित है.


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