Embankment: पिथौरागढ़ के धारचूला में बुधवार को नेपाल और भारत समन्वय बैठक में दोनों देशों ने महाकाली नदी को उसके मूल प्रवाह में बहने देने पर सहमति जताई. दार्चूला के डीएम ने बताया कि दोनों पक्ष तटबंध हटाने और नदी को प्राकृतिक मार्ग पर बहने देने पर सहमत हुए हैं.
उन्होंने बताया कि भारत द्वारा महाकाली नदी के प्रवाह को नेपाल की तरफ मोड़ने के बाद नदी पर अस्थायी तटबंध बनाने से क्षेत्र में तनाव था. भारत और नेपाल के बीच सीमा बनाने वाली महाकाली नदी पर नेपाल ने बड़े क्षेत्र में तटबंध बना दिए थे, जिससे नदी में जलस्तर बढ़ते ही बहाव भारत की तरफ बढ़ने लगा था.
भारत ने तटबंध का निर्माण किया था कम
इससे भारत के भू-भाग वाले कृषि क्षेत्र को नुकसान होता था. महाकाली नदी पर भारत की तरफ से बहुत ही कम क्षेत्र में तटबंध का निर्माण किया गया था. नदी से बचाव के लिए तटबंध कार्य निर्माण होता रहा है. उच्च हिमाचल से ग्लेशियरों के पिघलने से काली नदी का जल स्तर बढ़ जाता है. इससे काली नदी के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए भारत के ग्रामीण इलाकों में भय का माहौल बन जाता है. मॉनसून के मौसम में खतरा और बढ़ जाता है.
नेपाल ने भारत को एक डिप्लोमैटिक नोट भेजा था
नेपाल ने भारत को एक डिप्लोमैटिक नोट भेजा था. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि करते हुए कहा कि भारतीय दूतावास के जरिए राजनयिक नोट भारत भेजा गया था. इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने तटबंध क्षेत्र का निरीक्षण किया था.
मुख्य जिला अधिकारी दीर्घराज उपाध्याय ने कहा
दार्चूला के मुख्य जिला अधिकारी दीर्घराज उपाध्याय ने कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों के बीच बुधवार को हुई बैठक के दौरान, नेपाल के अनुरोध के मुताबिक दस दिनों के भीतर अस्थायी तटबंध का मलबा हटाने पर भारतीय पक्ष से सहमति बनी है.