New CDS Anil Chauhan: चीन मामलों के बड़े जानकार और देश के पूर्व डीजीएमओ, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan) देश के नए सीडीएस बनाए गए हैं. पिछले साल दिसंबर में जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर क्रैश में हुई मौत के बाद से ये बेहद ही अहम सैन्य पद खाली पड़ा हुआ था. बुधवार (28 सितंबर) को रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर से लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) यानी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का एलान किया. मंत्रालय के मुताबिक ले. जनरल अनिल चौहान डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स (DMA) के सेक्रेटरी के तौर पर भी काम करेंगे.
सरकार के आदेशानुसार लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) कार्यभार संभालने की तारीख से और अगले आदेश तक दोनों ही पद पर तैनात रहेंगे. लगभग 40 वर्षों के सेवाकाल में लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कई कमान व स्टाफ संबंधी नियुक्तियों को संभाला. साथ ही उन्हे जम्मू-कश्मीर एवं पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों के साथ साथ चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का भी लंबा अनुभव रहा है.
सीडीएस की क्या चुनौतियां है?
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के सामने एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी एक बड़ी चुनौती है. एलएसी के कमांडर रहने का एक लंबा अनुभव इसमें काफी काम आएगा. नागालैंड के दीमापुर में 3 कोर के कमांडर के तौर पर वे अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी को काफी करीब से देख चुके हैं. डीजीएमओ के तौर पर वे चीन और पाकिस्तान से जुड़े ऑपरेशन्स की कमान संभालते थे. बाद में पूर्वी कमान के कमांडर के तौर पर वे सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन की हरकतों को काफी करीब से देख चुके हैं. जिस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से विवाद चल रहा था तब वे सिक्किम और अरूणाचलल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन को काबू करने में जुटे थे.
सेना के तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना के एकीकरण और थियेटर कमांड बनाना भी उनके सामने एक बड़ी चुनौती है. जनरल बिपिन रावत थियेटर कमांड बनाने पर काम कर रहे थे. ऐसे में ये भी अब उनकी जिम्मेदारी होगी. अपनी योग्यता के कारण लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान जनरल बिपिन रावत के काफी करीबी माने जाते थे. यही वजह है कि जनरल रावत की मौत के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA) ने उन्हें नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट (NSCS) में उन्हें मिलिट्री एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया.
नए सीडीएस का सफर
मई 2021 में रिटायर के वक्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान सेना की को कोलकाता स्थित पूर्वी कमान के कमांडिंग इन चीफ पर तैनात थे. इससे पहले वे सेना मुख्यालय में डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स रह चुके थे. डीजीएमओ से पहले वे नागालैंड में सेना की 3 कोर के कमांडर के पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
पैतृक तौर से उत्तराखंड के रहने वाले लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ और उन्हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था. साथ वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से पढ़े हैं. मेजर जनरल रैंक में जनरल चौहान ने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामूला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी. नए सीडीएस अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम कर चुके हैं. सेना से सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा. सेना में विशिष्ट और शानदार सेवाओं के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया.
नियम में हुए थे बदलाव
आपको बता दें कि इसी साल जून में सरकार ने सीडीएस की नियुक्ति को लेकर आर्मी रूल्स में बदलाव किया था. लेफ्टिनेंट जनरल रैंक ( उनके समकक्ष थ्री स्टार) के वे सेवारत और रिटायर्ड अधिकारी, जिनकी उम्र 62 साल से कम हैं उन्हें भी योग्य माना था. इससे पहले तक फॉर स्टार जनरल यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों को ही सीडीएस को पद के लिए योग्य थे. नियमों में बदलाव के समय ही ये बात साफ हो गई थी कि सरकार अब किसी लेफ्टिनेंट जनरल (वायुसेना के एयर मार्शल और नौसेना के वाइस एडमिरल) को भी सीडीएस पद पर नियुक्त कर सकती है.
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