अमेरिका ने कहा है कि रूस से तेल आयात कर भारत किसी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा है. अमेरिका का ये बयान सोमवार को हुई पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई वर्चुअल मीटिंग के ठीक बाद आया. दोनों नेताओं ने वैश्विक चुनौतियां, यूक्रेन युद्ध और कई अन्य मुद्दों पर बैठक की. इस वर्चुअल मुलाकात से जो नतीजा निकला, उससे एक बड़ी खबर आई. खबर ये कि रूस से तेल खरीदने के भारत की फैसले को अमेरिका ने नियमों का उल्लंघन नहीं माना.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि रूस से तेल आयात करके भारत किसी तरह की पाबंदियों का उल्लंघन नहीं कर रहा है. रूस-यूक्रेन में भारत के स्टैंड को देखते हुए अमेरिका ने भारत पर डोरे डालने की भी कोशिश की. अमेरिका ये समझाने की कोशिश करता रहा कि तेल खरीद के मामले में भारत के लिए रूस से ज्यादा फायदेमंद अमेरिका होगा.
राष्ट्रपति बाइडेन ने पीएम मोदी को बताया कि हम उनके (भारत के) तेल आयात के साधनों में विविधता लाने में उनकी मदद करने के लिए हैं. अमेरिका से भारत का तेल आयात भारत को रूस से मिल रहे तेल से ज्यादा बड़ा और महत्वपूर्ण है.
'किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं है'
रूस से तेल आयात करने के भारत के कदम पर अमेरिका के इस बयान को बड़े बदलाव के रूप में देखा जा सकता है, जो पहले कह रहा था कि मॉस्को से ऊर्जा आयात बढ़ाने के लिए यह भारत के सर्वोत्तम हित के लिए नहीं होगा. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक रचनात्मक आह्वान था, यह एक उत्पादक आह्वान था. यह एक ऐसा संबंध है जो अमेरिका और राष्ट्रपति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
हालांकि, साकी ने कहा कि बाइडेन ने पीएम मोदी से कहा कि रूस से हर आयात को बढ़ाना भारत के हित में नहीं है. मीडिया के सवालों के जवाब में कि क्या जो बाइडेन ने पीएम मोदी से रूस से तेल खरीद नहीं बढ़ाने के लिए कहा है, इसपर साकी ने कहा कि मैं पीएम मोदी और भारतीयों को उस पर बोलने दूंगा. यह वर्तमान में केवल 1-2 प्रतिशत है, वे अमेरिका से 10 प्रतिशत निर्यात करते हैं. यह किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं है.
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