NSA Meeting: भारत और मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) ने आतंकवाद के फंडिंग, चरमपंथ और सीमापार से होने वाले आतंकवाद में गुप्त आतंकियों के इस्तेमाल जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मंगलवार (6 दिसंबर) को सामूहिक कार्रवाई की अपील की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों के लिए पनाहगाह नहीं बनने देना चाहिए. 


बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि विभिन्न देशों को सड़क मार्ग से जोड़ने की पहल पारदर्शिता और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए. इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भारत के रुख की मौन स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है. अजीत डोभाल ने बैठक में कहा कि भारत क्षेत्र में सहयोग, निवेश करने और सड़क संपर्क के लिए तैयार है.


फाइनेंशियल फंडिंग को रोकना लक्ष्य


आतंकवादी समूहों से खतरे पर उन्होंने कहा कि वित्तीय समर्थन आतंकवाद का जीवन आधार है और देश में आतंकवाद की फंडिंग रोकने पर अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए. मध्य एशिया को भारत का विस्तारित पड़ोस बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि नई दिल्ली इस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और अफगानिस्तान हम सभी के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है.


डोभाल की मेजबानी में हुई बैठक में अफगानिस्तान की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरूरत पर जोर दिया गया तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का आग्रह किया गया. बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया, वहीं तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत ने किया.


आतंकी समूहों को पाकिस्तान का समर्थन


एक संयुक्त बयान में कहा गया कि अधिकारी इस बात पर सहमत हैं कि क्षेत्र के लिए आतंकवादियों के दुष्प्रचार, भर्ती और धन उगाही की कोशिशों के विस्तार के गंभीर सुरक्षा प्रभाव हो सकते हैं और इसलिए सामूहिक कार्रवाई आवश्यक है.


इसमें कहा गया, नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी, सीमा पार से आतंकवाद के लिए गुप्त आतंकियों का इस्तेमाल, दुष्प्रचार फैलाने के लिए साइबर जगत का दुरुपयोग और मानव रहित हवाई सिस्टम आतंकवाद रोधी प्रयासों में नई चुनौतियां पेश करती हैं और सामूहिक कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित करती हैं. सीमापार से आतंकवाद के उल्लेख को भारत पर निशाना साधने वाले विभिन्न आतंकी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन के संदर्भ में देखा जा रहा है.


अफगानिस्तान का न हो गलत उपयोग


NSA ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति और क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर चर्चा की, 'शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित' अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन दोहराया. सुरक्षा अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग 'आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या किसी भी आतंकवादी कृत्य के फंडिंग के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UNSC) के प्रस्ताव 2593 (2021) के महत्व को भी दोहराया कि UNSC के प्रस्ताव 1267 के तहत प्रतिबंधित संगठन समेत किसी भी आतंकवादी संगठन को पनाह नहीं मिलनी चाहिए या अफगानिस्तान की सरजमीं का उपयोग करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.


NSA ने अफगानिस्तान में वर्तमान में बिगड़ती मानवीय स्थिति और वहां के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने की आवश्यकता पर गौर किया. इसमें कहा गया कि बैठक में सभी तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गयी और इस बुराई से लड़ने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत रेखांकित की गयी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक समझौते को जल्दी अपनाने की भी मजबूत वकालत की.


चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव पर चर्चा हुई


बैठक के दौरान इस बात को भी दोहराया गया कि अच्छा संपर्क व्यापार और वाणिज्य को बढ़ाने में कारगर हो सकता है. भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच करीबी संवाद सुनिश्चित करने में भी सहायक हो सकता है. चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के परोक्ष संदर्भ में बयान में कहा गया, वे इस बात पर सहमत हुए कि संपर्क की पहल पारदर्शिता, व्यापक सहभागिता, स्थानीय प्राथमिकताओं, सभी देशों के लिए वित्तीय मजबूती तथा संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए.


डोभाल ने अफगानिस्तान समेत क्षेत्र में आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा रूपरेखा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के विचार के साथ बैठक की मेजबानी की. इसमें जनवरी में हुई पहली भारत-मध्य एशिया शिखर वार्ता में लिये गये फैसले के अनुरूप व्यापक सुरक्षा को मजबूत करने के तरीकों पर भी ध्यान दिया गया. अपने संक्षिप्त संबोधन में डोभाल ने अधिकतर समय आतंकवाद की चुनौती, अफगानिस्तान की स्थिति और क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के महत्व पर बात की.


पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों पर जताई चिंता


जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों और अन्य की आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती के इस्तेमाल पर भारत की बढ़ती चिंता के बीच अजित डोभाल ने कहा,"आतंकवाद के लिए फंडिंग जीवन आधार की तरह है और आतंकवाद के फंडिंग को रोकना हम सभी की समान प्राथमिकता होनी चाहिए". उन्होंने कहा, हमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवादी कृत्यों में शामिल संस्थाओं या लोगों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने से बचने और आतंकवाद-रोधी समझौतों व प्रोटोकॉल में निहित दायित्वों को पूरा करने का आह्वान भी करना चाहिए.


डोभाल ने यह भी कहा कि संपर्क की पहल परामर्शी, पारदर्शी और सहभागिता वाली होनी चाहिए और संपर्क परियोजनाओं का विस्तार करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के मद्देनजर संपर्क कायम करने के कदम पारदर्शी हों व परामर्श तथा भागीदारी से उठाए जाएं. उनके इस बयान को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRA) परियोजना के परोक्ष संदर्भ में ही देखा जा रहा है. डोभाल ने जनवरी में हुए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन का भी उल्लेख किया जिसकी मेजबानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. यह सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया गया था.


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