लद्दाख में चीन ने बनाईं दो नई काउंटी, सरकार ने संसद में दी जानकारी; बताया क्या है आगे का प्लान
विदेश राज्यमंत्री ने संसद में बताया कि सरकार को चीन के होटन प्रांत में दो नई काउंटी बनाए जाने की जानकारी है. इनमें कुछ हिस्से भारत के केंद्र-शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं.'

China's new Counties in Ladakh: केंद्र सरकार ने शुक्रवार (21 मार्च) को संसद में बताया कि चीन ने भारतीय सीमा पर दो काउंटी बनाई हैं, जिनमें से कुछ हिस्से लद्दाख में आते हैं. इसको लेकर भारत की ओर से राजनयिक माध्यमों के जरिए कड़ा विरोध जताया गया है.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया, 'भारत सरकार ने उक्त क्षेत्र में भारतीय भू-भाग पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. नई काउंटी बनाए जाने से न तो इस क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में हमारे दीर्घकालिक रुख पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी.'
सरकार से पूछे गए इस सवाल में भारतीय सीमा के अंदर बनी काउंटी के खिलाफ भारत की ओर से दर्ज कराए गए विरोध का विवरण भी मांगा गया है. साथ ही चीन सरकार की ओर से अगर कोई प्रतिक्रिया आई हो तो उसकी जानकारी भी मांगी गई.
नई दिल्ली ने बीजिंग के सामने जताया विरोध
उन्होंने कहा कि सरकार ने राजनयिक माध्यमों से इन घटनाक्रमों पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है. मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार को लद्दाख में भारतीय क्षेत्र को शामिल करते हुए होटन प्रांत में चीन द्वारा दो नए काउंटी बनाने के बारे में जानकारी है. अगर हां तो सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए क्या रणनीतिक और कूटनीतिक उपाय किए हैं.
चीन की काउंटी के बारे में सरकार को जानकारी: विदेश राज्यमंत्री
विदेश राज्यमंत्री ने कहा, 'भारत सरकार चीन के होटन प्रांत में तथाकथित दो नई काउंटी की स्थापना से संबंधित चीन की घोषणा से अवगत है. इन तथाकथित काउंटी के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र-शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं.' उन्होंने कहा कि सरकार इस बात से भी अवगत है कि चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है.
सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान: सरकार
कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, 'सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार पर सावधानीपूर्वक और विशेष ध्यान दे रही है ताकि इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास को गति दी जा सके. साथ ही भारत की सामरिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को भी पूरा किया जा सके.'
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