नई दिल्ली: चीन के साथ जारी सीमा तनाव पर मध्यस्थता के लिए आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव पर भारत ने हाथ जोड़ किनारा कर लिया है. भारत ने साफ किया है कि चीन के साथ सीमा मामलों को सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर तंत्र मौजूद हैं और इनके सहारे दोनों पक्ष बातचीत कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से आई पेशकश के बारे में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन इस मामले के शांतिपूर्वक समाधान के बारे में बातचीत कर रहे हैं.
वहीं वास्तविक नियंत्रण रेखा( एलएसी) के मौजूदा हालात और स्थिति को सुझाने के लिए हो रही कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि इस मामले को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक, दोनों स्तर पर प्रयास हो रहे हैं. साथ ही इस मामले के कूटनीतिक समाधान की कोशिशें दिल्ली और बीजिंग दोनों जगह चल रही हैं.
महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन के बीच बीते 20 दिन से ज्यादा वक्त से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आमने-सामने और तनाव की स्थिति बनी हुई है. खास तौर पर एलएसी के पश्चिमी सेक्ट में गल्वान घाटी में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के जमावड़े के बाद भारत के सैनिक भी तंबू लगाकर बैठे हैं. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर इस तरह की स्थिति पैदा हुई हो. अप्रैल 2013 में दौलत बेग ओल्डी इलाके में इस तरह की स्थिति 21 दिन चली थी वहीं 2017 में डोकलाम का सीमा तनाव 70 दिन बाद सुलझ पाया था.
सीमा तनाव के संदर्भ में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता का कहना था कि भारतीय सैनिक सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाते हैं. साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में संभावित किसी भी मुद्दे को सुलझाने के लिए चीन के साथ स्थापित द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल की निर्धारित प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते हैं. फिर भी यदि कोई तनाव पूर्ण स्थिति बनती है तो उसे सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने सैन्य व राजनयिक स्तर पर ऐसे तंत्र स्थापित किए हैं जिनके जरिए बातचीत कर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से मामलों को सुलझाया जा सके.
सीमा तनाव पर भारतीय विदेश मंत्रालय का यह सधा हुआ बयान चीनी विदेश मंत्रालय की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें चीन ने सीमा की स्थिति को समग्र रूप से स्थिर और नियंत्रण में बताया गया था.
चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि हम इस मामले पर दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति का पूरा पालन कर रहे हैं. गौरतलब है कि अप्रैल 2018 में हुई वुहान की अनौपचरिक शिखर वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने अपने सैन्य कमांडरों को सीमा पर शांति सुनिश्चित करने को कहा था.
इस संदर्भ में भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के उद्देश्य पर भारत प्रतिबद्ध है. हमारे सशस्त्र बल दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति और प्रदान किए गए मार्गदर्शन का ईमानदारी से पालन करते हैं. हालांकि हम भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प में भी दृढ़ हैं.
ध्यान रहे कि भारत और चीन के बीच 3488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा है जो अनिर्णित है. इसको लेकर दोनों देश अलग-अलग दावे करते हैं और अपने अनुसार इसका निर्धारण करते हैं. इसके कारण ही कई बार सीमा पर गश्त के दौरान दोनों देशों के सैनिक दस्ते आमने सामने आ जाते हैं.
भारत और चीन 1993 से सीमा मामलों को सुलझाने के लिए अब तक करीब आधा दर्जन द्विपक्षीय समझौते कर चुके हैं. इसमें 1993 में सीमा पर शांति बनाए रखने का समझौता और 1996 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य क्षेत्र में विश्वास बहाली का समझौता. इसके बाद 2005 में तय प्रोटोकॉल और 2012 में हुआ सीमा तंत्र व 2013 का सीमा सहयोग समझौता शामिल हैं.
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