लंदन/नई दिल्ली: यूरोपीय यूनियन की संसद में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पेश किए गए प्रस्ताव पर बहस होगी और फिर इसपर मतदान कराया जाएगा. यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों के इस प्रस्ताव पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. यूरोपीय संघ संसद के मसौदा प्रस्ताव पर आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नया नागरिकता कानून (CAA) पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.


सूत्र ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि सीएए पर यूरोपीय संघ के मसौदा प्रस्ताव के समर्थक और प्रायोजक तथ्यों के पूर्ण आकलन के लिए भारत के साथ वार्ता करेंगे.'' उन्होंने कहा, ''यूरोपीय संघ की संसद को कोई ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी विधायिका के अधिकारों, प्रभुत्व पर सवाल खड़े करे.''


यूरोपीय संसद में इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने CAA को लेकर प्रस्ताव पेश किया था जिस पर बुधवार को बहस होगी और इसके एक दिन बाद मतदान होगा. प्रस्ताव में में भारत सरकार से अपील की गई है कि वे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ ‘रचनात्मक वार्ता’ करे और ‘भेदभावपूर्ण सीएए’ को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करे.


प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा. इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है.’’ सीएए पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था जिसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.


भारत सरकार का कहना है कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है.


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