चीन से डिसइंगेजमेंट के बाद अब भारत और पाकिस्तान एलओसी पर शांति बहाली के लिए तैयार हो गए हैं. दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर के अधिकारियों ने हॉटलाइन पर बात कर एलओसी पर पूरी तरह से युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं. इस बाबत खुद भारत के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर जानकारी दी.


गुरूवार को रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि भारत और पाकिस्तान एलओसी यानि लाइन ऑफ कंट्रोल (नियंत्रण रेखा) पर दोनों देशों के बीच हुए समझौतों, युद्धविराम  और आपसी समझ को  कड़ाई से लागू करने के लिए तैयार हो गए हैं. यानि 24-25 फरवरी की रात से दोनों एलओसी पर युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं.


दोनों देश के डीजीएमओ ने एलओसी सहित सभी इलाकों की स्थिति की समीक्षा की


जानकारी के मुताबिक 22 फरवरी को भारतीय सेना के डीजीएमओ (डॉयरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स), लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह संघा और पाकिस्तानी डीजीएमओ, मेजर जनरल नुमान जकरिया के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई. रक्षा मंत्रालय के जारी किए गए बयान के मुताबिक, दोनों देश के डीजीएमओ ने बेहद ही स्पष्ट और सौहार्दपूर्ण वातावरण में एलओसी सहित सभी इलाकों की स्थिति की समीक्षा की.


डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद दोनों ही देश एलओसी सहित पूरी सीमा पर स्थायी तौर से शांति के लिए तैयार हो गए हैं जो दोनों देशों के लिए पारस्परिक तौर से जरूरी है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश के डीजीएमओ एक दूसरे के मुख्य मुद्दों और चिंताओं को दूर करने के लिए सहमत हुए जिससे दोनों देशों में अशांति का वतावरण बन रहा था और हालात हिंसा तक पहुंच रहे थे.


पिछले कुछ सालो से हालात जंग से बने हुए थे


आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2003 में युद्धविराम समझौता हुआ था, जिसके तहत एलओसी पर दोनों देशों को युद्धविराम उल्लंघन यानि फायरिंग और गोलाबारी करना पूरी तरह से निषेध था. लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच इतने सीजफायर उल्लंघन हुए कि हालात जंग से बन गए थे. भारत का लगातार आरोप रहा था कि पाकिस्तानी सेना एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ कराने के इरादे गोलीबारी करती रही है.


भारतीय सेना भी पाकिस्तान के इस गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब देती आई है. दोनों ही देश की सेनाओं स्मॉल-आर्म्स फायरिंग से लेकर स्नाईपर फायरिंग, मोर्टार, रॉकेट. तोप और एंटी-टैंक गाईडेड मिसाइल (एटीजीएम) तक फायरिंग करती थी.  भारतीय सेना के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2018 में पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर 1629 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया गया. जबकि वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 3168 और 2020 में 4645 तक पहुंच गया.


इस साल 590 सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं


इसी साल यानि पहले दो महीनों में (1 जनवरी से लेकर 25 फरवरी तक) अब तक पाकिस्तान की तरफ से 590 सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इस फायरिंग में दोनों देशों के सैनिक तो हताहत होते ही हैं, साथ ही सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को भी जानमाल का बड़ा नुकसान होता है. यही वजह है कि दोनों देश युद्धविराम समझौते तो पूरी तरह से अमल लाने के लिए तैयार हो गए हैं.


रक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक, डीजीएमओ स्तर की बातचीत में दोनों देशों ने दोहराया है कि किसी कारणवश दोनों की सेनाओं के बीच कोई अप्रत्याशित स्थिति या फिर कोई गलतफहमी होती है तो उसे सुलझाने के लिए हॉटलाइन या फिर बॉर्डर पर होने वाली फ्लैग मीटिंग के जरिए सुलझाने का प्रयास किया जाएगा.


गौरतलब है कि हाल ही में भारत ने एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर पिछले नौ महीने से चीन से चल रहा टकराव भी खत्म करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए डिसइंगेजमेंट समझौता किया है. बुधवार को ही थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एक वेबिनार में कहा था कि हालांकि भारत टू-एंड-हॉफ फ्रंट यानि चीन-पाकिस्तान और आतंरिक सुरक्षा (आतंकवाद) से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है, लेकिन इन नौ महीनों के दौरान जब चीन से टकराव चल रहा था तब पाकिस्तान की तरफ से किसी भी तरह की कोई उत्तेजक कारवाई या फिर सेना की ऐसी मूवमेंट नहीं देखी गई थी जिससे ऐसा लगता कि पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ मोर्चा खोल रही है.


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