India-Pakistan Issue: 90 वर्षीय भारतीय महिला रीना वर्मा (Reena Verma) की अपनी गलियों में पहुंचने की मुराद 75 साल बाद आखिर पूरी हो ही गई. रीना वर्मा इतने सालों बाद एक बार फिर से पाकिस्तान (Pakistan) में स्थित उनके पुश्तैनी घर (Ancestral Home) की बालकनी पर खड़ी होकर अपने बचपन को याद कर भावुक हो गईं. रीना वर्मा ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा, "ये खुशी के आंसू हैं." रीना वर्मा को आज भी वो दिन याद है जब उन्हें और उनके परिवार ने रावलपिंडी (Rawalpindi) के गैरीसन शहर की तंग गलियों में बसे उनके एक छोटे से तीन मंजिला घर को छोड़ना पड़ा था. 


रीना वर्मा 75 साल बाद जब बुधवार 20 जुलाई को अपने पुराने घर पर पहुंचीं तो उनके आगमन पर उनके पड़ोसियों ने उनपर फूलों की बारिश कर उनका जोरदार स्वागत किया. रीना वर्मा के आगमन पर लोगों ने ड्रम बजाकर उनका स्वागात किया. रीना ने ड्रम की ताल पर लोगों के साथ डांस भी किया. उन्होंने सुबह से लेकर शाम तक अपने घर और पुरानी गलियों में समय व्यतीत किया. अपने माता-पिता और पांच भाई-बहनों के साथ बिताए बचपन की यादों को याद करते हुए कई घंटे अंदर बिताने के बाद उन्होंने कहा, "मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि घर बरकरार है."


विभाजन के बाद पुणे में बसा परिवार


आपको बता दें कि रीना वर्मा का परिवार उन लाखों लोगों में शामिल था, जिनको भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद अपने घरों को छोड़ पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था. विभाजन के समय रीना वर्मा का परिवार पुणे में आकर बस गया था. उस समय वह मात्र 14 साल की थीं. 


रीना वर्मा ने पाकिस्तान पहुंचकर दोनों देशों के बीच आपसी संबंध मजबूत करने की अपली करते हुए कहा, "हमारी संस्कृति एक जैसी है. हमारे पास एक जैसी चीजें हैं. हम सभी प्यार और शांति के साथ रहना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि जब वह रावलपिंडी में रहती थी तो वो हिंदू गली थी, लेकिन मुस्लिम, ईसाई और सिख सभी उसके पड़ोस में शांति से रहते थे. 


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