India-Pakistan Nuclear Treaty: नए साल (New year 2023) के मौके पर एशिया के दो चिर-प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रों के बीच एक-दूसरे के परमाणु ठिकानों की लिस्ट आपस में शेयर की गई. इन दो देशों में एक भारत (India) है और दूसरा पाकिस्तान (Pakistan). भारत और पाकिस्तान दोनों पड़ोसी हैं, दोनों के यहां रीति-रिवाज और बोली-भाषा में ज्यादा अंतर नहीं हैं. मगर फिर भी कड़वाहट रही है. इनकी सरहद दुनिया की सबसे अशांत अंतर्राष्ट्रीय सीमा-रेखाओं में गिनी जाती है.


इन दोनों के बीच अब तक 4 युद्ध हो चुके हैं और सीजफायर के समझौते के बावजूद गोलीबारी, सीमा पार से घुसपैठ और तस्करी की घटनाएं आम हैं. हालांकि, आपसी कड़वाहट के बहुत से उदाहरणों के बावजूद दोनों देशों में कई ऐसे समझौते बखूबी निभाए जा रहे हैं, जिनकी यहां चर्चा की जा सकती है. मसलन, अभी दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद नागरिकों और मछुआरों की लिस्ट भी एक दूसरे को सौंपी है. इसके अलावा दोनों ने अपने-अपने परमाणु ठिकानों की लिस्ट भी आपस में शेयर की है.


भारत पाक के बीच है एक ऐसा समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु ठिकानों की सूची शेयर करने का समझौता 30 साल से भी ज्यादा पुराना है. उस समझौते के अनुसार, दोनों देश हर साल 1 जनवरी को अपने-अपने परमाणु ठिकानों की लिस्ट एक-दूसरे को साझा करते हैं.


अब आप सोच रहे होंगे कि भला अपने परमाणु ठिकानों के बारे में किसी 'दुश्मन देश' को क्यों बताया जाए? क्या किसी जंग की सूरत में ये गुप्त सूचनाएं तबाही का कारण नहीं बन जाएंगी? ऐसे ही कई सवाल अक्सर लोगों के मन में उठते होंगे. इसलिए, आइए इस समझौते के बारे जानते हैं.


1988 में हुआ था यह समझौता
भारत-पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों की लिस्ट शेयर करने व उनसे जुड़ी अन्‍य जानकारी एक-दूसरे के साथ शेयर करने का समझौता 1988 में हुआ था. समझौते पर दोनों देशों की सरकारों ने 31 दिसंबर 1988 को हस्‍ताक्षर किए थे और  27 जनवरी 1991 को इसे लागू कर दिया गया.


इस समझौते के तहत भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु ठिकानों की पहली लिस्ट 1 जनवरी 1992 को साझा की गई थी. उसके बाद से दोनों देश हर साल 1 जनवरी को यह लिस्ट शेयर करते हैं. बता दें कि, भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु खतरे को लेकर भी ऑफिशियल ट्रीटी है, जिसे 2017 में 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया.


परमाणु ठिकानों के समझौते की वजह
दोनों देशों में यह समझौता परमाणु हथियारों से जुड़े हादसों का खतरा कम करने के लिए किया गया था. इस समझौते के तहत दोनों देश अपने क्षेत्र में परमाणु हथियारों से हादसा होने पर एक-दूसरे को सूचना देंगे. कहा जाता है कि ऐसा समझौता इसलिए हुआ क्योंकि रेडिएशन की वजह से सीमा पार भी नुकसान हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह समझौता 21 फरवरी 2007 को लागू किया गया था. पहली बार इसे 2012 में 5 साल के लिए बढ़ाया गया था.  


ठिकानों की सुरक्षा में हजारों सुरक्षाबल
दोनों देशों में परमाणु ठिकानों की सुरक्षा के लिए हजारों सुरक्षाबल हमेशा चौकस रहते हैं. कई नई तकनीक भी ऐसे ठिकानों की सुरक्षा में शामिल की गई हैं. इससे हादसों की गुंजाइश न के बराबर है.


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