MEA On India Pakistan Relations: भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत ने पाकिस्तान पर सख्त रुख अपना रखा है. इसकी वजह है पाकिस्तान का रवैया. हालांकि पड़ोसी मुल्क में हाल ही में हुए चुनाव के बाद नई सरकार बनी है लेकिन दोनों देशों के रिश्तों को लेकर पाकिस्तान की नई सरकार की तरफ से कोई साफ संदेश नहीं आया है. ऐसे में भारत भी अपनी पुरानी रणनीति पर चल रहा है.


दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयवाल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भी बयान सुना है और उसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की बयान सुना. दोनों के ही विरोधाभाषी बयान सामने आए हैं. हम सभी ने देखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई सरकार बनने के बाद बधाई संदेश भी भेजा लेकिन वहां अभी भी विरोधाभाष ही दिख रहा है. आगे देखते हैं कैसे हालात बनते हैं.


पाकिस्तान में विरोधाभाष कैसे?


दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार ने लंदन में कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ आर्थिक संबंधों को फिर से स्थापित करना चाहता है. इसके कुछ दिन बाद ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से बयान सामने आता है कि भारत को लेकर पाकिस्तान की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. प्रवक्ता ने अपने बयान में कश्मीर के मुद्दे को भी जोड़ा था.


इसी संबंध में रणधीर जायसवाल से सवाल किया गया कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की कोई गुंजाइश नजर आती है. उनके जवाब से साफ हो गया कि जब तक पाकिस्तान अपना रुख स्पष्ट नहीं करता है तब तक भारत भी पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर अपने पुराने पैटर्न पर चलेगा.


‘पाकिस्तान के रिश्ते बनाए रखना मुश्किल’


उधर, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है. जयशंकर ने ‘भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी’ कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि ऐसे कौन से देश हैं, जिनके साथ भारत को संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान.


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