नई दिल्ली/इस्लामाबाद: पाकिस्तान की कमान इमरान खान के हाथों में आने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच रुकी बातचीत को लेकर नये सिरे से चर्चा शुरू हो गई है. भारत ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ संभव नहीं है. कल पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इमरान खान को लिखे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा की मोदी ने बातचीत की पेशकश की है. हालांकि कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को लिखे पत्र में ‘‘वार्ता की पेशकश’’ नहीं की है.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने यह पत्र 18 अगस्त को लिखा, जिस दिन खान ने पाकिस्तान के 22 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए दोनों देशों के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की. मोदी द्वारा खान को बधाई पत्र भेजने की खबर आने के तुरंत बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामाबाद में कथित तौर पर संकेत दिया कि भारतीय प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच वार्ता का आह्वान किया है.
वहीं सरकारी सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के बारे में भारत का रूख रहा है कि आतंकवाद और वार्ता साथ साथ नहीं हो सकते और इस रूख में कोई बदलाव नहीं आया है. एक सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे पड़ोसी संबंध बनाने और सार्थक बातचीत की भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
जनवरी 2016 से पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों द्वारा भारतीय सैन्य अड्डों पर आतंकवादी हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में और खटास आ गयी. हमलों के बाद भारत ने घोषणा की कि वह पाकिस्तान के साथ वार्ता में शामिल नहीं होगा और आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते.
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इस्लामाबाद में, पाकिस्तानी के विदेश मंत्री कुरैशी ने सभी लंबित मुद्दों के हल के लिए भारत के साथ ‘‘अबाधित’’ वार्ता की पेशकश की और कहा कि यह "एकमात्र बुद्धिमत्तापूर्ण तरीका’’ है क्योंकि दोनों देश जोखिम नहीं उठा सकते हैं. मोदी ने 30 जुलाई को आम चुनावों में खान की पार्टी की जीत पर उन्हें बधाई देने के लिए फोन किया था और उम्मीद जतायी थी कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने के लिए काम करेंगे.
मोदी के फोन कॉल से कुछ दिन पहले, खान ने कहा था कि वह भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं और बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को हल करना चाहते हैं. "अगर भारत हमारी ओर एक कदम उठाता है, तो हम दो कदम उठाएंगे.’’
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यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी के पत्र से दोनों पड़ोसियों के बीच फिर से बातचीत शुरू होने की उम्मीद पुनर्जीवित हुयी है, पूर्व राजनयिक विवेक काटजू ने कहा कि उन्होंने भारत का रूख दोहराया है और यह पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवादी समूहों पर कड़ी कार्रवाई कर बातचीत के लिए माहौल तैयार करे. काटजू ने कहा कि भारत हमेशा पाकिस्तान से साथ बातचीत के लिए तैयार रहा है बशर्ते पाकिस्तान आतंकवाद रहित माहौल बनाए.
मोदी ने दिसंबर 2015 में लाहौर की यात्रा की थी और इसके बारे में पहले से घोषणा नहीं की गयी थी. 10 साल से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पाकिस्तान की यह पहली यात्रा थी. इस यात्रा से संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी थी लेकिन अगले कुछ महीनों में भारतीय प्रतिष्ठानों पर सीमा पार से आतंकवादी हमलों तथा भारत के लक्षित हमलों से द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव आ गया था.
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