भारत ने चलाया आतंकी साजिद मीर का मुंबई हमले वाला ऑडियो, UNSC में चीन ने लगाया था वीटो
Terrorist Sajid Mir: यूएल असेंबली में आतंकी साजिद मीर की इंटरसेप्ट की गई रिकॉर्डिंग भी चलाई, जिसमें आतंकी मीर को उर्दू में उन आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना गया.
Terrorist Sajid Mir: पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ भारत की तरफ से यूएन में प्रस्ताव पेश किए जाते हैं, जिन पर हर बार चीन की तरफ से अडंगा लगाया जाता है. इस बार भी जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी और मुंबई हमले के आरोपी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा तो चीन ने इस पर अडंगा लगा दिया. अब इसे लेकर भारत ने चीन को जवाब दिया है और उसके इस कदम की आलोचना की है. भारत ने कहा कि ये किसी देश के आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मानकों को दिखाता है.
भारत और अमेरिका ने पेश किया था प्रस्ताव
दरअसल भारत और अमेरिका की तरफ से यूएन में आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिससे उसकी संपत्ति को फ्रीज करना, ट्रैवल बैन और हथियारों पर रोक लगाई जा सके. जिस पर चीन ने वीटो लगा दिया. आतंकी मीर भारत और अमेरिका में वांटेड है, उसके खिलाफ आरोप है कि उसी ने मुंबई में हमला करने वाले लश्कर के 10 आतंकियों को पाकिस्तान में बैठकर निर्देश दिए थे.
चलाई गई आतंकवादी की रिकॉर्डिंग
यूएन असेंबली में भारत की तरफ से ज्वाइंट सेक्रेट्री प्रकाश गुप्ता ने चीन के इस कदम पर जवाब दिया. गुप्ता ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि जब आतंकी मीर के खिलाफ तमाम देशों के प्रस्ताव के बाद भी उसे वैश्विक आंतकी घोषित नहीं किया गया तो इससे ये कहा जा सकता है कि आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत है.
इस दौरान गुप्ता ने एक इंटरसेप्ट की गई रिकॉर्डिंग भी चलाई, जिसमें आतंकी मीर को उर्दू में उन आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना गया, जिन्होंने मुंबई हमले को अंजाम दिया था. गुप्ता ने कहा कि ये आतंकवादी साजिद मीर है, जो आतंकियों को फोन पर ताज होटल में विदेशी नागरिकों को खोजने और उन्हें गोली मारने के निर्देश दे रहा है.
15 साल बाद भी नहीं मिला न्याय
भारत की तरफ से बोल रहे प्रकाश गुप्ता ने यूएन में कहा कि मुंबई नरसंहार के 15 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है. हमले के मास्टरमाइंड समेत कई आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, इसके अलावा उन्हें तमाम सुविधाएं भी मिल रही हैं. इसके लिए हमें दोहरे मानकों से बचना चाहिए और अच्छे आतंकवादियों बनाम बुरे आतंकवादियों की सोच से दूर रहना चाहिए. भारत की तरफ से कहा गया कि आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है.