नई दिल्ली: देश में कारोबारी सुगमता यानी 'इज ऑफ डूंइंग' बिजनेस रैंकिंग में भारत ने 30 स्थानों की जबर्दस्त छलांग लगाते हुए टॉप 100 देशों में अपनी जगह बना ली है. हालांकि ये रैकिंग तय करने में अभी पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली टैक्स व्यवस्था वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी को शामिल नहीं किया गया है. 'ईज ऑफ डूइंग' बिजनेस में सुधार होने से विश्व की प्रमुख रेटिंग एजेंसियां भारत को बेहतर रेटिंग दे सकती है और भारत में विदेशी निवेश में भी बढ़ोतरी हो सकती है.


इस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ''कारोबार सुगमता वरीयता में ऐतिहासिक छलांग टीम इंडिया के चौतरफा और बहु-क्षेत्रीय सुधार कदमों का नतीजा है.''



अपने दूसरे ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, ''पिछले तीन वर्षों में हमने कारोबार को सुगम बनाने की ओर राज्यों के बीच सकारात्मक स्पर्धा की भावना देखी है.''




प्रधानमंत्री ने विश्व बैंक रैंकिंग पर कहा, ''हम ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म’ के मंत्र के साथ रैंकिंग में और सुधार करने तथा अधिक आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.''



भारत 190 देशों की सूची में 100वें स्थान पर

विश्व बैंक ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस 2018 की ताजा रैकिंग जारी करने हुए मोदी सरकार के सुधार प्रयासों पर अपनी मुहर लगा दी. ताजा स्थिति ये है कि भारत 190 देशों की सूची में 100वें स्थान पर आ गया है, जबकि साल 2017 में वह 130वें स्थान पर था.

एक रिपोर्ट जारी कर कहा गया है कि साल 2003 से लेकर अब तक देश में सुधार को लेकर 37 बड़े कार्यक्रम लागू किए गए. इसमें से आधे से ज्यादा पिछले चार साल के दौरान हुए हैं.

ताजा रैकिंग में जीएसटी शामिल नहीं

ताजा रैकिंग में दो जून 2016 से लेकर एक जून 2017 के बीच सुधार कार्यक्रमों को जारी किया गया है. क्योंकि, जीएसटी पहली जुलाई 2017 को लागू हुआ था, इसीलिए ताजा रैकिंग में इसे शामिल नहीं किया गया है. विश्व बैंक का मानना है कि इसका असर अगले तीन से पांच सालों में देखने को मिलेगा.

खास बात ये है कि सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वालो के मामले में भारत की दूरी यानी डिस्टेंस टू फ्रंटियर बेहतर हुई है. पहले ये दूरी 56.05 थी जो अब 60.76 हो गयी है. इसका मतलब ये है कि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में सुधार की रफ्तार तेज है.

कई मामलों में बेहतर हुई है भारत की स्थिति

कारोबार करना कितना आसान हुआ? इस बारे में दस कारकों को आधार बनाया जाता है. इनमें से आठ में भारत की स्थिति बेहतर हुई है. मसलन, छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा, कर्ज पाने, कंस्ट्रक्शन परमिट हासिल करने, ठेके को लागू करने और दिवालिया प्रक्रिया पूरा करने जैसे मामलों में स्थिति बेहतर हुई है.

हालांकि कारोबार शुरु करने में लगने वाले वक्त जैसे कुछ मामलों में स्थिति अभी भी बेहतर नहीं है. वर्ल्ड बैंक ये मानता है कि 15 साल पहले देश में कारोबार शुरु में 127 दिन का वक्त लगता था, जबकि अब 30 दिन का समय लगता है. हालांकि बीते साल के ये सर्वे में ये समय 26 दिन था. यही वजह है कि कारोबारी शुरु करने के पैमाने पर भारत की रैकिंग 190 देशों में 115 वें स्थान से खिसक कर 156 पर पहुंच गयी है.

दक्षिण एशिया में भूटान सबसे आगे, पाकिस्तान 147वे नंबर पर

अगर पूरे दक्षिण एशिया की बात करें तो भूटान 75वें स्थान के साथ सबसे आगे है जबकि भारत 100वें पायदान के साथ दूसरे और नेपाल 105वें स्थान के साथ तीसरे पायदान पर है. श्रीलंका की रैकिंग 11वीं, मालद्वीप की 136वीं और पाकिस्तान की 147वीं है.

भारत के सुधार कार्यक्रमों में प्रॉविडेंट फंड के लिए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सुविधा और कॉरपोरेट टैक्स की दर में कमी के साथ अनुपालन का खास तौर पर जिक्र किया गया है.

दिल्ली और मुंबई में कारोबारियों के बीच किया गया था सर्वे

इस रैकिंग को तैयार करने में सिर्फ दिल्ली और मुंबई में कारोबारियों के बीच सर्वे किया जाता है, जिसे लेकर विश्व बैंक की आलोचना भी होती रही है, लेकिन बैंक का कहना है कि ये दो शहर कारोबारी माहौल की नुमाइंदगी करते हैं, लिहाजा यहां से एक तस्वीर साफ हो जाती है.

बैंक से ये भी पूछा गया कि क्या नोटबंदी के फैसले को रैकिंग में शामिल किया गया या नहीं, उस पर उनका जवाब नहीं में था. इसके पीछे दलील ये दी गयी कि नोटबंदी एक देश का एक खास फैसला था औऱ इस तरह की नीति दूसरे देशों में नहीं अपनायी गई. रैकिंग तैयार करते वक्त विभिन्न देशों में कारोबारी माहौल के एक समान कारकों को आधार बनाया जाता है.

व्यापार के मामले में लुधियाना नंबर 1 शहर

भारत में व्यापार करने के मामले में पंजाब का लुधियाना शहर नंबर वन है. वहीं हैदराबाद दूसरे और भुवनेश्वर तीसरे नंबर पर है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली छठे, मुंबई 10वे, नोएडा 12वें और कोलकाता 17वें नंबर पर है.