'मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नहीं है बल्कि...', कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के हमले पर भारत का तीखा जवाब
भारत के विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत के दूतावास पर हुए हमले को वियना संधि का उल्लंघन बताते हुए मेजबान देशों से कॉन्सुलेट की सुरक्षा करने की अपील की.
India's Response On Khalistan: भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (6 जुलाई) को खालिस्तानी समर्थकों की तरफ से भारत के उच्चायोग, वाणिज्यिक दूतावासों पर हमले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत ने कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में हिंसा की घटनाओं को अस्वीकार्य करार दिया है. वियना संधि का हवाला देकर भारत ने संबंधित देशों की सरकारों को उचित सुरक्षा देने का आग्रह किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि वियना संधि के मुताबिक मेजबान देश भारत में अपने मिशन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे, क्योंकि यह एक गंभीर मुद्दा है और हमने संबंधित देशों से इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है.
अभिव्यक्ति के नाम पर नहीं फैला सकते आतंक
अरिंदम बागची ने कहा कि खालिस्तान समर्थक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंक नहीं फैला सकते हैं. अरिंदम बागची ने कहा कि राजनयिकों, वाणिज्य दूतावासों, उच्चायोगों को लेकर पोस्टर लगाने का मुद्दा काफी गंभीर है, जिनमें हिंसा के लिए उकसाने, धमकी देने की बात की गई है. उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया से बात की गई है, कुछ जगहों से तत्काल कार्रवाई की सूचना मिली है और कुछ स्थानों को लेकर अपेक्षा है कि कार्रवाई की जायेगी.
बागची ने कहा कि अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले की घटना को भी वहां के प्रशासन के समक्ष उठाया गया और वहां से उच्च स्तर पर प्रतिक्रिया आई है और उन्होंने ऐसे कृत्य को आपराधिक कृत्य बताया गया है. कुछ दिन पहले ही भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था और कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों पर एक ‘डिमार्शे’ (आपत्ति जताने वाला पत्र) जारी किया था.
कनाडा ने खालिस्तान समर्थकों ने क्या कार्रवाई की?
खालिस्तान समर्थकों ने बताया कि भारत ने कनाडा के अधिकारियों से आठ जुलाई को कनाडा में भारतीय मिशन के बाहर खालिस्तान समर्थक समूहों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर उचित कदम उठाने को भी कहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नहीं है बल्कि इनके नाम पर ही आतंकवादी तत्वों, अलगाववादी तत्वों को मौका मिल रहा है.
उन्होंने कहा, हम जानना चाहते हैं कि देशों ने क्या कार्रवाई की या क्या कार्रवाई की जा रही है क्योंकि पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. बागची ने कहा, ‘‘हम ऐसे हमलों या धमकियों को काफी गंभीरता से लेते हैं और जो भी कार्रवाई जरूरी है, हम करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारा दूतावास ऐसी घटनाओं पर नजर बनाए हुए है और स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है. प्रवक्ता ने कहा कि मेजबान देश से वियना संधि के अनुरूप दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है. भारत ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों के हमले का मामला भी अमेरिका के साथ उठाया है.
दूतावास में की गई आग लगाने की कोशिश
यह कुछ महीनों के भीतर सैन फ्रांसिस्को में राजनयिक मिशन पर हमले की ऐसी दूसरी घटना है. खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने 19 मार्च को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर तोड़फोड़ की थी. खालिस्तान समर्थकों ने दो जुलाई को एक वीडियो ट्विटर पर साझा किया, जिसमें सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में कुछ लोगों को आगजनी की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है.
पिछले महीने, ब्रैंपटन में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या से जुड़ी एक झांकी निकाले जाने की घटना के दृश्य सोशल मीडिया पर आने के बाद भारत ने कनाडा को चेतावनी देते हुए कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह ठीक नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, स्पष्ट रूप से हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वोट बैंक की राजनीति के अलावा कोई ऐसा क्यों करेगा. इसी हफ्ते सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि ‘चरमपंथी, अतिवादी' खालिस्तानी सोच भारत या अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया जैसे सहयोगी देशों के लिए ठीक नहीं है.
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