नई दिल्ली: 15 जुलाई, भारत के अंतरिक्ष इतिहास के लिए बेहद महत्वपूर्ण तारीख है. इस दिन भारत अपना चंद्रयान-2 लॉन्च करने जा रहा है. बता दें कि इससे पहले जनवरी में चीन ने अपने अंतरिक्ष यान चांग-ई-4 को चांद पर भेजा था. चीन का यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा के उस हिस्से पर उतारा था जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा था. इस हिस्से पर भारत पहले यान भेजना चाहता था लेकिन बाजी चीन के हाथ लगी.


चंद्रयान 2 के साथ भारत एक बार फिर इतिहास बनाने की दहलीज पर खड़ा है. भारत अपना ये मिशन ऐसे समय पर भेज रहा है जब करीब 50 साल पहले 20 जुलाई, 1969 को अमेरिका ने पहली बार चंद्रमा पर इंसान को उतारा था.


ऐसा ही इतिहास भारत ने तब बनाया जब 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने और हिंदुस्तान को पहली बार अंतरिक्ष से देखा. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा था कि ऊपर से हिंदुस्तान कैसा दिखता है ? अंतरिक्ष यान से ही राकेश शर्मा ने जवाब दिया था कि गर्व से कह सकता हूं, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा.


1984 के बाद 2009 में चंद्रयान-1 जब चांद पर उतरा था तब उस लम्हे ने भी दुनिया को चौंका दिया. चंद्रमा पर मैन मिशन से हिंदुस्तान फिर दुनिया को चौंकाने वाला है लेकिन उसके पहले हिंदुस्तान के वैज्ञानिक एक और करिश्मा दोहराने जा रहे हैं. 15 जुलाई की आधी रात जब पूरा देश गहरी नींद में सो रहा होगा तब अंतिरक्ष विज्ञान में हिंदुस्तान का नया सूरज उग रहा होगा. इसी मिशन को चंद्रयान 2 का नाम दिया गया है. इसरो के प्रमुख के शिवन ने बताया कि 15 जुलाई को सुबह 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 लॉन्च किया जाएगा. पहली बार इस तरह के मिशन की कमान दो महिलाओं के हाथ में है. चंद्रयान 2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम वनीता और मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल हैं.


चंद्रयान-2, 22 दिनों में 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर की दूरी तय करके चांद पर पहुंचेगा और उसके रहस्यों से पर्दा उठाएगा. चंद्रयान-2 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन स्पेस सेटंर से लॉन्च किया जाएगा. -चंद्रयान-2 को देश में बने लॉन्चिंग व्हीकल GSLV मार्क-3 से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. GSLV मार्क-3 रॉकेट 15 मिनट में आर्बिटर को धरती की कक्षा में स्थापित कर देगा. फिर अगले 16 दिनों तक अंतरिक्ष में चक्कर काटते हुए चंद्रयान-2 चांद के पास पहुंचेगा.


चांद के करीब पहुंचते ही चंद्रयान-2 में लगा ऑर्बिटर एक बार फिर से रफ्तार पकड़ेगा जिसे विज्ञान की भाषा में ट्रांस लुनार मनुवर कहते हैं. इस दौरान चंद्रयान 2 सिर्फ 5 दिनों में 3 लाख 51 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगा और लैंडर को चांद से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर पहुंचा देगा. इसके बाद विक्रम नाम का लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और अगले 4 दिनों में 70 किलोमीटर की दूरी तय करेगा.


इसके बाद बाकी के बचे 30 किलोमीटर ISRO के लिए बेहद अहम होंगे क्योंकि 15 जुलाई को उड़ान भरने वाला चंद्रयान, 6 या 7 सितंबर को अपने आखिरी स्टेज में पहुंच जाएगा. इसी स्टेज में प्रज्ञान नाम के रोवर को सिर्फ 15 मिनट में चांद पर उतारने की चुनौती होगी. अंतरिक्ष विज्ञान में ISRO का लोहा पूरी दुनिया मानती है. ISRO हर बार अपना ही बनाया रिकॉर्ड तोड़ता है और चंद्रयान-2 की कामयाब के बाद ISRO एक बार फिर से नया कीर्तिमान रच देगा.


वीडियो में देखें चंद्रयान-2 की पहली झलक