लेह: शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दो दिन का लद्दाख और कश्मीर का दौरा पूरा हुआ और उसके साथ ही रक्षा मंत्री ने चीन, पाकि‌स्तान और आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की तैयारियों का पूरा जायजा लिया. भारतीय सेना इसे ढाई-मोर्चे का नाम देती है. यानी चीन और पाकिस्तान दो मोर्चे, और आधा मोर्चा कश्मीर में आतकंवाद.


पिछले कुछ सालों से भारतीय सेना इस रणनीति पर काम कर रही है कि अगर चीन या पाकिस्तान से जंग जैसे हालात बनते हैं, तो इस परिस्थिति से कैसे निपटना है. भारत को पूरा अंदेशा है कि पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानी एलएसी पर चीन से हालात बिगड़े, तो भारत को चीन के साथ पाकिस्तान से भी निपटना होगा. क्योंकि चीन और पाकिस्तान की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं रही हैं. भारत और चीन के बीच युद्ध जैसी परिस्थितियां बनी तो पाकिस्तान एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर भारत के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोल ‌सकता है. आपको यहां पर ये भी बता दें कि जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर में मौजूद थे तब भी पाकिस्तान की तरफ से एलओसी पर युद्धविराम का उल्लंघन हो रहा था.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दो दिन का दौरा लद्दाख के लेह एयरबेस से शुरू हुआ. उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी भी थे. लेकिन रक्षा मंत्री हेलीकॉप्टर के जरिए सीधे लेह से 25 किलोमीटर दूर स्टकना में पहुंचे जहां सेना का एक बड़े मैदानी इलाके में पैरा-ड्रॉप ग्राउंड है. क्योंकि 14 जुलाई की भारत चीन कोर कमांडर स्तर की मैराथन 15 घंटे की मीटिंग के बाद रक्षा मंत्री से लेकर एनएसए और प्रधानमंत्री तक एलएसी पर चल रही परिस्थितियों के बार में सेना प्रमुख से लेकर सैन्य कमांडर्स से मीटिंग के जरिए पूरी जानकारी दिल्ली में ही ले चुके थे. ऐसे में सेनाओं (थलसेना और वायुसेना) की ऑपरेशनल तैयारियां क्या हैं और कैसी हैं ये जानना बेहद जरूरी था. स्टकना में रक्षा मंत्री और टॉप मिलिट्री लीडरशिप की आगवानी लेह स्थित 14वीं कोर ('फायर एंड फ्यूरी') के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की.


स्टकना में रक्षा मंत्री की मौजूदगी में थलसेना और वायुसेना ने अपनी साझा ताकत का परिचय दिया. इस 'बिहाइंड द एनेमी लाइंस' मिलिट्री-ड्रिल में थलसेना के स्पेशल फोर्स के पैरा-एसएफ कमांडोज़ ने वायुसेना के 'सी-130जे सुपर हरक्युलिस' एयरक्राफ्ट से पैरा-जंप लगाकर दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला बोलने का अभ्यास किया. पैरा-एसएफ के हमले के तुरंत बाद वायुसेना के 'अपाचे' अटैक हेलीकॉप्टर्स से दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकाने पर हमला बोला जाता है. साथ ही टैंक और बीएमपी व्हीकल्स से आर्मर्ड-अटैक कर दुश्मन की सीमा पर अधिकार कर लिया जाता है.



इस सैन्य-अभ्यास के दौरान रक्षा मंत्री ने खुद सैनिकों के आधुनिक हथियारों के बारे में जानकारी ली. उन्होनें खुद थलसेना की 'पीका' मशीन गन को उठाया. उन्होनें पैराएसफ कमांडोज़ की स्नाइपर राइफल के बारे में भी जाना, जो फिनलैंड से ली गई हैं‌ ( 'साको-टीआरजी 42') और पहली बार भारत में देखी गई. कमांडोज़ के अमेरिका से लिए गए बैलेस्टिक हेलमेट को भी देखा. इसके बाद राजनाथ सिंह ने टी-90 'भीष्म' टैंक के साथ फोटो खिंचवाई.


पूर्वी लद्दाख में इस सैन्य-अभ्यास ने साफ कर दिया कि भले ही चीन से डिसइंगेजमेंट बातचीत चल रही है, लेकिन भारतीय सेना की किसी भी चुनौती से निपटने की पूरी तैयारी है. रक्षा मंत्री ने स्टकना के बाद पैंगोंग-त्सो लेक से सटे लुकुंग में सैनिकों को संबोधित करते हुए इसे साफ कर दिया. उन्होनें दो टूक शब्दों में कहा कि चीन के साथ "बातचीत तो चल रही है, लेकिन उसकी कोई गारंटी नहीं है कि कितनी सफल होगी." रक्षा मंत्री का इशारा चीन की पीएलए सेना की तरफ था जो पैंगोंग त्सो लेक से सटे फिंगर एरिया से पूरी तरह से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है, जिसके चलते एलएसी पर स्टेट्स कयो यानि अप्रैल महीने के आखिर वाली स्थिति फिर से कायम करने में मुश्किलें आ रही हैं.


आपको बता दें कि लुकुंग से फिंगर-4 की दूरी करीब 40 किलोमीटर की है और हॉट-स्प्रिंग की दूरी करीब 80 किलोमीटर की है. ये दोनों ही पिछले ढाई महीने से भारत और चीन के बीच एलएसी पर दो बड़े फ्लैश-पॉइंट यानी विवादित इलाके हैं‌


चीन सीमा पर सेना की तैयारियों का जायजा‌ लेने और लद्दाख में करीब चार घंटे बिताने के बाद रक्षा मंत्री, सीडीएस और थलसेनाध्यक्ष के साथ श्रीनगर रवाना हो गए. वहां पहुंचते ही उन्होनें कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन्स की समीक्षा की. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर सहित राज्य के पुलिस महानिदेशक और सीआरपीएफ के आईजी (ऑपरेशन्स) ने भी हिस्सा लिया. उन्होनें अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की समीक्षा की और अगली सुबह खुद बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पवित्र गुफा पहुंच गए.


जब रक्षा मंत्री कश्मीर घाटी में थे, उसी वक्त दक्षिण कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को एक ऑपरेशन में ढेर कर दिया. भारतीय सेना भलीभांति जानती है कि अगर चीन-पाकिस्तान से हालात बिगड़े तो पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठन कश्मीर घाटी में भी हालात बिगाड़ने की कोशिश करेंगे. इसलिए घाटी में आतंक पर काबू करना बेहद जरूरी है. भारतीय सेना की‌ राष्ट्रीय राईफल्स (आरआर), सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस स्थानीय कश्मीरी और विदेशी (पाकिस्तानी) आतंकियों के खिलाफ जबरदस्त कारवाई कर रही है.


अमरनाथ गुफा से रक्षा मंत्री, सीडीएस और थलसेना प्रमुख के साथ पाकिस्तान से सटी‌ एलओसी पर कुपवाड़ा (केरन) की एक फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंचे और सैनिकों के जोश का जायजा‌ लिया. इस पोस्ट पर सिख रेजीमेंट की यूनिट तैनात थी. जवानों के साथ फोटो खिंचवाने के दौरान उनके बगल में सीडीएस और थलसेना प्रमुख नहीं बल्कि, सिख रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) और सूबेदार मेजर बैठे थे.


इसी दौरान जवानों के साथ चाय-नाश्ता करने के बाद रक्षा मंत्री फॉरवर्ड पोस्ट से निकलने लगे तो वहां मौजूद सिख रेजीमेंट के सैनिकों ने अपना युद्धघोष, 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' किया तो राजनाथ सिंह तक के रोंगटे खड़े हो गए. रक्षा मंत्री ने वहां मौजूद सैनिकों से एक बार फिर से सत श्री अकाल का जयकार लगाने के लिए कहा. इस बार 'वाहे गुरू जी का खालसा, वाहे गुरू जी की फतह' और 'भारत माता की जय' की ऐसी गर्जना हुई कि एलओसी के पार तक भारतीय सैनिकों की दहाड़ सुनाई देने लगी.


एलओसी की फॉरवर्ड पोस्ट का दौरा करने के बाद रक्षा मंत्री दिल्ली के लिए रवाना हो गए. लेकिन जाने से पहले उन्होनें सैनिकों की कर्तव्यनिष्ठा और निगहबानी के साथ साथ घाटी में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए वहां तैनात सुरक्षाबलों की प्रशंसा की.


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