14 August In India: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बीजेपी पर भारत के विभाजन (Partition Of India) की त्रासदी का राजनीतिक दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. जयराम ने कहा है कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horror Memorial Day) के रूप में मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की वास्तविक मंशा सबसे दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ (Political Benefit) के लिए इस्तेमाल करना है. ये देश के लिए एक दर्दनाक घटना थी, इस विभाजन की घटना में लाखों-लाख लोग विस्थापित हुए और कई जानें चली गईं. उन लोगों के बलिदानों को भुलाया या अपमानित नहीं किया जाना चाहिए.


बंटवारे की त्रासदी का दुरुपयोग न करें


जयराम रमेश ने कई ट्वीट किए और लिखा कि बंटवारे की त्रासदी का दुरुपयोग नफरत और पूर्वाग्रह की भावना को भड़काने के लिए नहीं होना चाहिए. सच ये है कि सावरकर ने दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया और जिन्ना ने इसे आगे बढ़ाया. पटेल ने लिखा था, "मुझे लगता है कि अगर विभाजन स्वीकार नहीं किया गया, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा."


रमेश ने आगे लिखा- क्या प्रधानमंत्री आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था, और स्वतंत्र भारत के पहले के पहले कैबिनेट में शामिल हुए, जब विभाजन के दर्दनाक परिणाम स्पष्ट रूप से सामने आ रहे थे? देश को बांटने के लिए आधुनिक दौर के सावरकर और जिन्ना का प्रयास आज भी जारी है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल और अन्य नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेगी, नफरत की राजनीति हारेगी.


सावरकर के बयान का किया उल्लेख


हिंदू महासभा के मतानुसार व्यावहारिक राजनीति का मुख्य सिद्धांत अंग्रेज सरकार के साथ संवेदनपूर्ण सहयोग की नीति है, जिसके अंतर्गत बिना किसी शर्त के अंग्रेजों के साथ सहयोग, जिसमें हथियार बंद प्रतिरोध भी शामिल है." हिंदूमहासभा के सर्वेसर्वा सावरकर ने 1942 में कानपुर में अपनी नीति का खुलासा करते हुए कहा, "सरकारी प्रतिबंध के तहत जैसे ही कांग्रेस एक खुले संगठन के तौर पर राजनीतिक मैदान से हटा दी गयी है तो अब राष्ट्रीय कार्यवाहियों के संचालन के लिए केवल हिंदू महासभा ही मैदान में रह गयी है....नेहरू इस तरह की क्षुद्रता से बचे रहे.


आज अपना पद  बचाने के लिए बेताब कर्नाटक के सीएम जानते हैं कि उन्होंने जो किया है वह दयनीय है. उनके पिता एस.आर. बोम्मई और उनके पिता के पहले राजनीतिक गुरु एम.एन. रॉय दोनों महान नेहरू प्रशंसक थे, बाद वाले एक मित्र भी थे.


संघ की डीपी पर तिरंगा देखकर पटेल की आत्मा प्रसन्न होगी


संघ की DP पर #तिरंगा देखकर सरदार पटेल की आत्मा बड़ी प्रसन्न होगी. क्योंकि महात्मा गांधी की हत्या में तथाकथित भूमिका के मद्देनजर 1948में RSS पर उन्होंने ही प्रतिबंध लगाया था. जब संघ के नेता प्रतिबंध हटाने की मांग लेकर तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल से मिले भारत की आजादी की 25वीं, 50वीं और 60वीं सालगिरह के अवसर पर संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम किए गए. अफसोस की बात है कि 75वीं सालगिरह पर ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ. इस अवसर को सिर्फ सर्वज्ञानी की छवि चमकाने के लिए सीमित कर दिया गया.


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