UN महासभा में इमरान खान के प्रोपेगेंडा का भारत ने दिया जवाब, अल्पसंख्यकों पर जुल्म और भारत में आंतक फैला रहा है पाक
संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के संबोधन पर भारतीय राजनयिक ने अपने विरोध जताते हुए वॉक आउट कर दिया था. अब राजनयिक मिजीतो विनितो ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के संबोधन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं बैठक के दौरान बीते शुक्रवार को आमसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने मर्यादा की सभी हदें लांघ दी थीं. जिसके कारण भारत के खिलाफ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बोल को देखते हुए महासभा बैठक में मौजूद भारतीय राजनयिक ने अपने विरोध जताते हुए वॉक आउट कर दिया था. अब भारतीय राजनयिक मिजीतो विनितो ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बड़बोलेपन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
भारतीय राजनयिक मिजीतो विनितो का कहना है कि 'संयुक्त राष्ट्र संघ के इस महान मंच ने अपनी 75 वीं वर्षगांठ के साल में एक नई गिरावट को देखा है. पाकिस्तान के नेता ने उन लोगों के बहिष्कार का आह्वान किया है जो नफरत और हिंसा को उकसाते हैं. लेकिन, जैसे-जैसे उनका भाषण आगे बढ़ता गया, हम यह सोचकर हैरान थे कि क्या वो खुद अपने बारे में जिक्र कर रहे हैं?'
उन्होंने आगे कहा 'इस हॉल ने किसी ऐसे व्यक्ति का झल्लाहट भरा भाषण सुना जिसके पास खुद के लिए दिखाने को कुछ नहीं था, जिसके पास बोलने के लिए कोई उपलब्धि नहीं थी, और दुनिया को देने के लिए कोई उचित सुझाव नहीं था. बल्कि इस सभा का इस्तेमाल झूठ फैलाने, गलत जानकारियां देने, युद्ध भड़काना और दुर्भावना फैलाने के लिए किया गया.'
उनका कहना था कि 'पाकिस्तान के नेता ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वो इस महान सभा की मूल भावना के ही खिलाफ है. एक ऐसे देश के लिए जो खुद मध्ययुगीनता की गहराई से डूबा हुआ हो, उसके बारे में यह समझ पाना कठिन नहीं है कि शांति, संवाद और सैद्धांतिक कूटनीति जैसे आधुनिक सभ्य समाज के गुण उससे कोसों दूर हैं.'
पाकिस्तान के इतिहास पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा 'मैं पाकिस्तान के चमकीले रिकॉर्ड के बारे में आपका ध्यान खींचने की अनुमति चाहता हूं. यह वो देश है जिसने 39 साल पहले दक्षिण एशिया में नरसंहार किया था और अपने ही लोगों को मार डाला था. यह वो देश है जिसे आज तक इतने लज्जा भी नहीं आई कि है इतने सालों बाद भी अपनी क्रूरता के लिए ईमानदारी से माफी मांग ले. यह वही मुल्क है जो सरकारी खजाने से खूंखार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादियों को पेंशन देता है. इतना ही नहीं इसी देश ने संयुक्तराष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकवादियों की सबसे बड़ी संख्या को अपने यहां पनाह दे रखी है.'
पाकिस्तान के आतंकवादी प्रेम पर बोलते हुए भारतीय राजनयिक मिजीतो विनितो ने कहा 'जिस नेता को आज हमने सुना, यह वही शख्स है जिसने गत जुलाई में ही अपनी संसद के भीतर खड़े होकर ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी को "शहीद" कहा था. इतना ही नहीं आज जिस नेता ने विषवमन किया उन्होंने ही 2019 में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उनके देश में अब भी लगभग 30,000-40,000 आतंकवादी हैं जिनको पाकिस्तान ने प्रशिक्षित किया है और जो अफगानिस्तान और भारतीय संघ शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में लड़ते रहे हैं.'
उनका कहना था कि 'यह वह देश है जिसने अपने ईश निंदा कानूनों के दुरुपयोग के माध्यम से और जबरन धर्मांतरण कर हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों समेत अपनी अल्पसंख्यक आबादी का सफाया कर दिया है. एक ऐसा देश जो अपने को इस्लाम का चैंपियन होने का दावा करता है, वहां क़ई मुसलमानों की हत्या को केवल इसलिए प्रोत्साहित किया गया क्योंकि वे एक अलग संप्रदाय के थे, या पाकिस्तान के एक अलग क्षेत्र के रहने वाले थे. अपने पड़ोसियों के खिलाफ आतंकवादी हमलों को भी खूब प्रायोजित किया जाता रहा है.'
मिजीतो विनितो ने कहा 'पिछले 70 वर्षों में दुनिया को दिखाने के लिए इस देश की चुनिंदा शानदार उपलब्धियां हैं आतंकवाद,जातीय सफाया, कट्टरवाद और अवैध तरीके से किया गया परमाणु कारोबार. एक बात हम यहां बहुत स्पष्ट रूप से बता देना चाहते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न व अविभाज्य अंग है. साथ ही संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किए गए नियम और विधान पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है. कश्मीर पर एकमात्र विवाद केवल उस हिस्से से संबंधित है जो अब भी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है. हम पाकिस्तान से उन सभी क्षेत्रों को खाली करने का आह्वान करते हैं, जिस पर उसने अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है.'
इसके साथ ही उनका कहना है कि 'संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे पर यही होना चाहिके कि जिस तरह पाकिस्तान डीप स्टेट आतंकवादी संगठनों व भाड़े के लोगों को राजनीतिक और वित्तीय समर्थन दे रहा है. यह बात वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है. पाकिस्तान के लिए एक सामान्य देश बनने का एकमात्र तरीका आतंकवाद के लिए अपने नैतिक, वित्तीय और भौतिक समर्थन को समाप्त करना है. बेहतर होगा कि वो अल्पसंख्यकों समेत अपनी आबादी के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान दे. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के प्लेटफार्मों को अपने नापाक एजेंडे का दुरुपयोग करने से बन्द करे.'
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