भारत-रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय बैठक आज आयोजित की जाएगी. भारतीय मेजबानी में यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब एशिया प्रशांत क्षेत्र की रणनीतिक बिसात पर तेजी के मोहरे चले जा रहे हैं. साथ ही भारत और चीन के बीच सीमा तनाव भी 19 महीने से जारी है. 


भारत-रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की 18वें दौर की बैठक वर्चुअल तरीके से आयोजित की जा रही है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस बैठक में आरआईसी देशों के बीच त्रिपक्षीय सहयोग मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी बातचीत होगी. 


पिछली बार सितंबर 2020 में मॉस्को में हुई थी बैठक


आरआईसी भारत-रूस और चीन के बीच साझेदारी और संवाद का मंच है. हालांकि बीते दो सालों से इस समूह की शिखर बैठक नहीं हो सकी है. आरआईसी नेताओं की पिछली शिखर बैठक 2019 में जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. बैठक न हो पाने की वजह कोरोना महामारी संकट के साथ-साथ भारत और चीन के बीच चल रहा तनाव भी है. लिहाजा फिलहाल संवाद की यह बैठक विदेश मंत्रियों की स्तर पर हो रही है. 


भारत-रूस और चीन के विदेश मंत्री पिछली बार सितंबर 2020 में मॉस्को में मिले थे. इस बैठक के हाशिए पर भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच आमने-सामने की मुलाकात भी हुई थी. मॉस्को बैठक के बाद ही आरआईसी की अगुवाई भारत को मिल गई थी और 26 नवंबर की बैठक के बाद इस समूह का नेतृत्व चीन के हाथ होगा. भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर आज दोपहर बाद होने वाली इस बैठक का नेतृत्व करेंगे. 


इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है ये बैठक


भारत-रूस और चीन की यह बैठक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की बढ़ती दिलचस्पी और सक्रियता के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो जाती है. ध्यान रहे कि आरआईसी तंत्र का विचार 1998-99 में रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री यवगेनी प्रिमाकोव ने बढ़ाया था. इसके पीछे विचार अमेरिकी प्रभाव मुक्त विदेश नीति के साथ-साथ भारत के साथ पुराने रिश्तों और चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने का था. 


रणनीतिक संयोग है कि आरआईसी विदेश मंत्रियों की बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब चीन के साथ सीमा तनाव का मुकाबला कर रहा भारत एक तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी के इंतजाम कर रहा है.  वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की अगुवाई में होने वाली डेमोक्रेसी समिट में भी शिरकत की भी तैयारी कर रहा है जिसमें रूस और चीन को न्यौता नहीं दिया गया है. इस महा बैठक में दुनिया के  छोटे-बड़े 100 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है जहां लोकतंत्र है. हालांकि इस वर्चुअल सम्मेलन में रूस और चीन ही नहीं नेपाल और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देशों को भी बुलावा नहीं दिया गया है.


भारत-रूस-चीन जैसी तीन बड़ी ताकतों के विदेश मंत्रियों की बैठक में चर्चा का एक अहम मुद्दा अफगानिस्तान के हालात और अफगान लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाने का भी होगा.


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