अमेरिकी CAATSA का कांटा भी नहीं रोक पाया एस-400 मिसाइल सौदे की राह
रूस को भारत का हर मौसम दोस्त यूं ही नहीं कहता. दोस्ती की खातिर ही भारत ने अमेरिकी पाबंदियों की धमकियों को दरकिनार करते हुए रूस के साथ एस-400 मिसाइल समझौते पर दस्तखत कर लिए.
नई दिल्ली: रूस को भारत का हर मौसम दोस्त यूं ही नहीं कहता. दोस्ती की खातिर ही भारत ने अमेरिकी पाबंदियों की धमकियों को दरकिनार करते हुए रूस के साथ एस-400 मिसाइल समझौते पर दस्तखत कर लिए. इतना ही नहीं नई दिल्ली में दोनों मुल्कों के बीच हुई 19वें दौर की सालान शिखर वार्ता में भारत औऱ रूस ने कूटनीतिक तालमेल से लेकर रेल तक औऱ मिसाइल से लकेर आंतरिक्ष सहयोग के 9 समझौतों पर मुहर लगाई.
महज 24 घंटे के इस दौरे की विशेषता यह भी रही इस राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में रस्मी आवभगत और तामझाम की बजाए संवाद के अधिक समय पर जोर दिया गया. राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच गुरुवार रात रात्रिभोज की मुलाकात जहां तीन घंटे से ज्यादा चली. भोज के बहाने हुइ इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच सीधा संवाद हुआ. वहीं शुक्रवार को औपचारिक वार्ता से पहले दोनों नेताओं के बीच तय 30 मिनट की रेस्ट्रिक्टेड वार्ता तीन गुना ज्यादा देर चली.
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मेहमान रूसी राष्ट्रपति के स्वागत में साझेदारी के सौदों के साथ ही सुस्वादू भारीय व्यंजनों का दौर और मधुर संगीत की सुरलहरियां भी खूब चली. द्विपक्षीय वार्ता के बाद राष्ट्रपति पुतिन के साथ मीडिया से रूबरू हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के साथ भारत की दोस्ती को एक विशेष दोस्ती करार दिया. वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने भी कहा कि भारत आना उन्हें इसलिए भी अच्छा लगता है क्योंकि यहां दोस्ती और सम्मान का माहौल है. दोनों नेताओं ने कहा कि उनकी बातचीत ने बदलते वक्त की जरूरत और हालात के मद्देनजर भारत-रूस की दोस्ती का नया रोडमैप तैयार किया है.
PM @narendramodi and President of Russia #VladimirPutin interact with business leaders at #IndiaRussia Business Summit.#PutininIndia pic.twitter.com/h3luRqT4o5
— PIB India (@PIB_India) October 5, 2018
दुनियाभर में बहुपक्षीय व्यवस्था को लेकर जारी बहस के बीच भारत औऱ रूस ने राष्ट्रपति पुतिन के दौरे में सबसे अहम सैन्य समझौते यानी एस-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम की खरीद के करार पर भी मुहर लगाई. किसी भी हमलावर मिसाइल को मार गिरानी की क्षमता रखने वाला यह रूसी मिसाइल सिस्टम दुनिया में बेहतरीन माना जाता है. इस सौदे के तहत रूस से भारत करीब साढ़े पांच अरब डॉलर की लागत से पांच ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है. इस सौदे के लिए भारत के रक्षा मंत्रालय औऱ रूसी सैन्य निर्यात कंपनी रोसबोरोन एक्सपोर्ट के बीच करार हुआ.
भारत और रूस के बीच यह सौदा ऐसे वक्त हुआ है जब अमेरिका इसका अपनी नाखुशी पहले ही जाहिर कर चुका है. रूस के खिलाफ पाबंदियां लगा रहा अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदे. उसने भारत को CAATSA (काउंटरिंग अमेरिकन एजडवर्जरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट) के तहत कार्रवाई को लेकर आगाह भी किया था.
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हालांकि इसे भारतीय कूटनीति की कामयाबी कहा जा सकता है कि इस सौदे के ऐलान के बाद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से आई प्रतिक्रिया में कुछ नरमी के संकेत जरूर नजर आए. अमेरिकी दूतावास प्रवक्ता के मुताबिक हमारे CAATSA की मंशा रूस को उसकी गलतियों के लिए दंडित करना है और इसके लिए रूसी रक्षा क्षेत्र को जा रहे धन को रोकने का प्रयास है. लेकिन, CAATSA के जरिए अमेरिका के सहयोगियों और साथियों की सैन्य क्षमताओं को कम करने की मंशा कतई नहीं है. अमेरिकी प्रवक्ता के अनुसार छूट का प्रवाधान मुक्त रूप से रियायत के लिए नहीं है. यह भुगतान आधारित है और छूट के बारे में विचार करने के बहुत सख्त मापदंड हैं. लिहाजा हम पाबंदियों के बारे में अभी किसी फैसले का आकलन नहीं कर सकते हैं.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में मंशा अमेरिकी संवेदनशीलता को भी ध्यान रखने की जरूर थी. यही वजह थी कि मिसाइल समझौते का ऐलान संयुक्त वक्तव्य में केवल एक पैरेग्राफ के तौर पर किया गया. सूत्र बताते हैं कि बीते दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अमेरिका यात्रा औऱ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के वाशिंगटन दौरे में भारत ने इस बाबत अपनी चिंताओं से ट्रंप प्रशासन को अवगत करा दिया था. सूत्रों का कहना है कि एस-400 को लेकर भारत और रूस के बीच संवाद अमेरिकी CAATSA कानून के पारित होने से कई महीनों पुराना है. साथ ही भारत की सुरक्षा चिंताओं के लिए यह मिसाइल सिस्टम बेहद जरूरी है. सूत्रों की मानें तो फिलाल भारत ने रूस को भी इस बात के लिए राजी कर लिया है कि खरीद सौदे के भुगतान के लिए भी उसे थोड़ी रियायत बरतनी होगी ताकि इस सौदे को अमेरिकी पाबंदियों की मार न झेलनी हो.
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मिसाइल सौदे से परे भारत को प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना में भी रूसी मदद का भरोसा मिला. मानव अंतरिक्ष अभियानों में खासी महारत रखने वाले रूस ने 2022 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजने की परियोजना में पूरी सहायता का आश्वासन दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए राष्ट्रपति पुतिन का धन्यवाद भी दिया. इस संबंध में भारत के इसरो औऱ रूस के रोसकोसमोस के बीच एक समझौते पर भी दस्तखत किए गए.
भारत औऱ रूस ने नॉर्थ-साउथ कनेक्टिविटी कॉरीडोर के लिए संपर्क बनाने की खातिर दोनों देशों के रेलवे के बीच आपसी सहयोग भी बढ़ाने का फैसला लिया. भारत में विशेष ढुलाई गलियारे के विकास में जहां रूस मदद कर रहा है वहीं नागपुर-सिकंदराबाद लाइन के उन्नयन में भी साझेदार है. दोनों देशों के रेलवे सहयोग पर भी करार शुक्रवार को हुआ.
अन्य समझौतों के साथ ही राष्ट्रपति पुतिन ने भारत में लागू किए गए जीएसटी पर भी पीएम मोदी से बात की. सरकारी सूत्रों के अनुसार रूस भी जीएसटी व्यवस्था लागू करना चाहता है. ऐसे में राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में बात की और भारत के अनुभवों पर जानकारी ली. महत्वपूर्ण है कि भारत में लंबी मशक्कत के बाद जुलाई 2017 में जीएसटी लागू किया गया था. शुरुआती परेशानियों के बाद अब इस व्यवस्था के अच्छे असर भी नजर आने लगे हैं.
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