Indian in Russia Army: रूस की सेना में फंसे भारतीयों के मामले को भारतीय विदेश मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार (26 फरवरी) को बताया कि उसने रूस की सरकार के सामने यह मुद्दा उठाया है. इसके बाद कई भारतीय नागरिकों को रूस की सेना ने छोड़ भी दिया है. रूस से बातचीत जारी है. बाकी बचे हुए लोगों को भी जल्द मुक्त करा लिया जाएगा.


दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत के कई लोग रूस की सेना में मजबूरी में या जबरन काम कर रहे हैं. इनमें से कई भारतीयों को यूक्रेन के खिलाफ लड़ने को कहा जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन भारतीयों को लाखों रुपये की नौकरी का लालच देकर रूस बुलाया गया था, लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें सेना में डाल दिया गया. कुछ दिन बाद उनसे युद्ध लड़ने को कहा गया.  


क्या कहा भारतीय विदेश मंत्रालय ने 


विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह एक-एक भारतीयों को सुरक्षित लाने के लिए प्रतिबद्ध है और रूसी सेना से भारतीयों की शीघ्र रिहाई उसकी प्राथमिकता है. हमने इस मुद्दे पर रूस के  सेना से भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के लिए रूसी एंबेसी के अफसरों के साथ-साथ वहां के टॉप लीडर्स से भी बात की है. पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारत रूसी सेना के सहायक कर्मचारियों के रूप में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की शीघ्र छुट्टी के लिए मास्को के संपर्क में है. उन्होंने भारत के लोगों से यूक्रेन में संघर्ष क्षेत्र से दूर रहने का आग्रह किया था.


 ओवैसी ने भी विदेश मंत्री से लगाई थी गुहार


बता दें कि इस मामले को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले दिनों एक्स पर विदेश मंत्री एस.जयंकर को टैग करते हुए एक्स पर लिखा था,"सर कृपया इन लोगों को घर वापस लाने के लिए अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करें. उनकी जान खतरे में है और उनके परिवार वाजिब रूप से चिंतित हैं."