India Russia Relationship: भारत और रूस की दोस्ती ऐसी है जो जियोपॉलिटिकल अस्थिरता के बीच मजबूत, सतत और आत्मनिर्भर कही जा सकती है. हर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही देश एक दूसरे के साथ खड़े नजर आते हैं. दोनों ही देशों के बीच व्यापार भी तेजी से बढ़ा है.  बीते साल की तुलना में हमारे द्विपक्षीय कारोबार में 130% की बढ़ोतरी हुई है. ये लगभग 17 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है. जल्द ही 30 अरब डॉलर कारोबार के टारगेट को भी हासिल करने की कोशिश की जा रही है. भारत ने एक बार फिर साफ संदेश दे दिया है कि रूस के साथ दोस्ती और व्यापार आगे भी इसी तरह जारी रहेगा. 


रूसी विदेश मंत्री ने कही ये बात
दरअसल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिन के दौरे पर रूस गए थे. जहां उन्होंने अपने समकक्ष यानी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को जल्द शुरु करने पर भी अच्छी बात हुई. बातचीत को लेकर लावरोव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार के क्षेत्र में काफी अच्छी संभावनाएं हैं जिसमें कच्चे तेल की बिक्री शामिल है. रूस के फार ईस्ट की माइनिंग परियोजनाओं और भारत के निवेश पर भी हमने बात की है.


रूसी विदेश मंत्री की तरफ से कहा गया कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग पर भी विस्तार से बात हुई. दोनों देश कई हथियारों के संयुक्त उत्पादन पर सहमत हैं. साथ ही भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ाने पर भी बात हुई है. यूक्रेन में चल रहे विशेष सैन्य अभियान पर भी बात हुई है. हमने भारतीय विदेश मंत्री को ब्रीफ किया. साथ ही हमने बताया कि किस तरह पश्चिमी देश यूक्रेन के हालात को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना दबाव बनाए रख सकें.


एस जयशंकर ने छेड़ा यूक्रेन युद्ध का मुद्दा
इस दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत है और समय की परीक्षाओं पर खरी उतरती रही है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार पर बात हुई. हमने व्यापार असंतुलन पर और निर्यात बढ़ाने पर चर्चा की. भारत और रूस के बीच चले आ रहे रक्षा सहयोग के साथ साथ अंतरिक्ष और परमाणु साझेदारी के मुद्दों पर भी बात हुई. कनेक्टिविटी हमारी बातचीत का एक अहम विषय है. INSTC से लेकर चेन्नई-व्लादिवोस्तक मैरिटाइम कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर बात हुई है. 


विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि रूस के साथ यूक्रेन संघर्ष पर प्रमुखता से बात हुई. भारत का पक्ष साफ है जो समरकंद में प्रधानमंत्री मोदी ने भी स्पष्ट किया कि यह युद्ध का काल नहीं है. क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था इतना परस्पर आधारित है कि किसी एक बड़े संघर्ष का दूसरे पर असर पड़ता है. दो साल के कोविड संकट से पैदा तनाव को यूक्रेन संघर्ष से उपजे खाद्यान्न व तेल की किल्लत ने और गहरा दिया है. ऐसे में भारत पुरजोर आग्रह करता है कि बातचीत और कूटनीति की मेज पर लौटना चाहिए. हम साफ तौर पर शांति के हक में हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून व यूएन चार्टर का सम्मान करने के पक्षधर हैं.


तेल के आयात पर भी दिया जवाब
एस जयशंकर ने कहा कि ऐसा कोई भी प्रयास जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के खतरे घटाता हो और शांति व स्थिरता बढ़ाता हो, भारत उसका समर्थन करता है. एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ आने की वजह यह भी है कि भारत और रूस के रिश्ते  व्यापक हैं. दोनों के बीच कई विषयों पर सहज समानता है. भारत और रूस G20 की दो बड़ी और अहम अर्थव्यवस्थाएं हैं. हमारी कोशिश है कि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाएं और यह समय की जरूरत भी है. 


भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक तेल आयात का सवाल है, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. साथ ही ऐसा देश है जहां लोगों की आय कम है. ऐसे में यह हमारा कर्तव्य है कि उन्हें किफायती दाम पर ईंधन उपलब्ध होता रहे. ऐसे में अगर कहीं से हमें बेहतर दाम में तेल उपलब्ध है तो हम जरूर लेंगे. 


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