Pending Court Cases In India: देश की अदालतों में 4 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. पेंडिंग केस को लेकर लगातार न्यायिक विद्वान सवाल उठाते रहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के सबसे पुराने केस वास्तव में कितने पुराने हैं. देश के सबसे पुराने सिविल और क्रिमिनल केस जब दायर किए गए थे तो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के कोई न्यायाधीश पैदा भी नहीं हुए थे. ये केस आज भी फैसले का इंतजार कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में इस समय 27 जज हैं. इनमें उम्र के हिसाब से जस्टिस एससी गुप्ता सबसे वरिष्ठ हैं. 15 मई 1958 को जन्मे जस्टिस गुप्ता 2004 में हाई कोर्ट के जज बने और जनवरी 2019 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति ली. इसी साल 14 मई को वे रिटायर होंगे.
सबसे पुराना क्रिमिनल केस
अब जरा देश के सबसे पुराने क्रिमिनल केस पर नजर डाल लेते हैं. सबसे पुराना क्रिमिनल केस महाराष्ट्र की रायगढ़ पुलिस ने महाराष्ट्र निषेध अधिनियम की धारा 65ई के तहत 18 मई 1953 में दर्ज किया गया था. यानी सबसे पुराना आपराधिक मामला सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज के जन्म से भी 5 साल पुराना है.
केस दर्ज के होने के बाद उसी साल रायगढ़ जिले के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, उरण ने आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया. आरोपी पर 1949 के अधिनियम की धारा 65E [बेचने, खरीदने, या किसी भी नशीले पदार्थ (अफीम के अलावा) या गांजा रखने] के तहत आरोप लगाया गया था. मामले में दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल जेल और 25 हजार रुपये जुर्माना या अधिकतम पांच साल की जेल 50,000 रुपये का जुर्माने का प्रावधान है.
अभी तक चल रहा ट्रायल
केस के रिकॉर्ड से यह पता नहीं चल पाया है कि 70 साल पुराने मामले में आरोपी अभी जिंदा है या नहीं. अगर होगा तो बहुत ही बुजुर्ग अवस्था में होगा. नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक 9 फरवरी 2023 को केस को सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है.
रायगढ़ में ही धारा 381 (क्लर्क या नौकर द्वारा मालिक की संपत्ति चोरी) के तहत एक और आपराधिक मामला दायर किया गया था, जिसमें दोषी पाए जाने पर सात साल की कैद की सजा का प्रावधान है। 25 मई 1956 में दायर यह मामला उसी जेएफएमसी, उरण के सामने सुनवाई के लिए लगा है.
सबसे पुराना दीवानी केस
दीवानी या फिर सिविल केस की बात करें तो सबसे पुराना दीवानी केस पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का है. पारिवारिक संपत्ति के विभाजन से जुड़ा ये मामला 3 अप्रैल 1952 को मालदा की दीवानी अदालत में दायर हुआ था. मामले में 66 साल बाद 2018 मालदा दीवानी जज (सीनियर डिवीज़न) को सूचित किया गया कि प्रतिवादी नंबर 4 की मौत हो गई है. वह अपने पीछे अपनी विधवा और तीन बच्चों- दो बेटों और एक बेटी को छोड़ गया है। जिसके बाद जज ने कानूनी उत्तराधिकारी को पार्टी बनाने का आदेश दिया। इसके बाद से मामला आगे नहीं बढ़ा.
दूसरा केस भी इसी कोर्ट में
दूसरा सबसे पुराना दीवानी मामला भी मालदा के इसी दीवानी न्यायालय में हैं जो 70 से ज्यादा साल से लंबित है। पार्वती रॉय ने 18 जुलाई, 1952 को बिप्रचरण सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। 2018 में मध्यस्थता की पहल हुई थी जिसके बाद से सिविल जज इसके परिणाम पर एक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
हाई कोर्ट का सबसे पुराना मामला
हाई कोर्ट्स की बात करें तो कलकत्ता उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में सबसे पुराना दीवानी मामला दर्ज है, जो 1951 से लंबित है. सबसे पुराना आपराधिक मामला (क्रिमिनल केस) 1969 से लंबित है. देश के 25 उच्च न्यायालयों में कुल लगभग 60 लाख दीवानी और आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें 51,846 सिविल केस और 21,682 क्रिमिनल केस 30 साल से ज्यादा पुराने हैं।
4 करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केस
देश में इस समय 3.25 करोड़ क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं. इनमें 71 प्रतिशत केस कम से कम 5 साल से ज्यादा पुराने हैं. वहीं 1.09 करोड़ दीवानी मामले ट्रायल कोर्ट में पेंडिंग हैं. इनमें 73 प्रतिशत ऐसे हैं जो कम से कम 5 साल से पहले दायर किए गए थे.
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