India-US: PM मोदी-पुतिन की हुई मुलाकात, अमेरिकी राजदूत देने लगे ज्ञान, भारत ने दिया ऐसा जवाब कि US की बोलती बंद
India-Russia: भारत और रूस से संबंध सात दशक पुराने हैं. दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती की वजह से अमेरिका को हमेशा से ही परेशानी होती है. ऐसा ही फिर देखने को मिला है.
US on India-Russia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पिछले हफ्ते रूस की यात्रा पर गए तो इससे अमेरिका के पेट में दर्द होने लगा. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन संग पीएम मोदी की मुलाकात की आलोचना की. वहीं, अब भारत ने भी जैसे को तैसा का जवाब दिया है और अमेरिका को उसकी औकात दिखा दी है. भारत ने कहा है कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच व्यापक संबंध दोनों देशों को असहमति के लिए सहमति होने की जगह देते हैं.
दरअसल, पिछले हफ्ते एरिक गार्सेटी ने पीएम मोदी की रूस यात्रा को लेकर उन पर कटाक्ष किया था. अमेरिकी राजदूत ने कहा कि संघर्ष के वक्त रणनीतिक स्वायत्तता लागू नहीं हो सकती है. जब कोई देश नियम-आधारित आदेश के खिलाफ हो जाता है या फिर संप्रभु सीमाओं का उल्लंघन करता है तो भारत और अमेरिका को सिद्धांतों को कायम रखना चाहिए. एरिक गार्सेटी के इस बयान को रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख की आलोचना के तौर पर देखा गया.
अमेरिकी राजदूत के बयान पर क्या बोला भारत?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से शुक्रवार (19 जुलाई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एरिक गार्सेटी के बयान को लेकर सवाल हुआ. जायसवाल ने तर्क दिया कि भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी ने दोनों पक्षों को कुछ मामलों पर अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की छूट दी है. उन्होंने देश की रणनीतिक स्वायत्तता की नीति का भी बचाव किया.
प्रवक्ता ने कहा, "बाकी के देशों की तरह ही भारत भी अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व देता है. अमेरिकी राजदूत स्पष्ट रूप से अपनी राय रखने के हकदार हैं. हमारे भी अपने और अलग विचार हैं." उन्होंने आगे कहा, "अमेरिका के साथ हमारी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी हमें एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए कुछ मुद्दों पर असहमत होने के लिए सहमत होने का अवसर देती है."
उन सभी मुद्दों पर होती है बात, जो दोनों के पक्ष में: विदेश मंत्रालय
भारत और अमेरिका अपनी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के तहत कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं. दोनों देश अपने रिश्ते के कई पहलुओं पर एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हुए आ रहे हैं. जयसवाल ने कहा, "हम उन सभी मुद्दों पर चर्चा करते हैं जो दोनों पक्षों के हित में हैं." उन्होंने कहा कि इसमें आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा शामिल है. राजनयिक बातचीत की जानकारी शेयर करना या उन्हें सार्वजनिक करना भारत की प्रथा नहीं है.
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