सूरज-चांद के बाद अब ब्लैक होल के भी खुलेंगे राज! रिसर्च के लिए ISRO लॉन्च करेगा सैटेलाइट, काउंटडाउन शुरू, जानें पूरा शेड्यूल
ISRO XPoSat Mission: नये साल की शुरुआत के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नया इतिहास रचने की पूरी तैयारी कर चुका है और इसका काउंटडाउन शुरू हो गया है.
ISRO XPoSat Mission: भारत नए साल की शुरुआत एक बार फिर से नया इतिहास रचने के साथ करने जा रहा है. चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सोमवार (1 जनवरी) को पहला एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च करने के लिए तैयार है. इस लॉन्चिंग के साथ नववर्ष का स्वागत किया जाएगा जोकि ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा. इसको श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9.10 बजे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान रॉकेट पर लॉन्च किया जाएगा.
अक्टूबर में गगनयान परीक्षण यान (Gaganyaan Mission) 'डी1 मिशन' की सफलता के बाद यह प्रक्षेपण किया जा रहा है. इस मिशन का जीवनकाल करीब 5 साल का होगा. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड 'एक्सपोसैट' और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा.
रहस्यमयी दुनिया से उठेगा पर्दा
चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र से नए साल के पहले दिन सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर होने वाले प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती रविवार (31 दिसंबर) को शुरू हो गई. इसरो सूत्रों ने कहा, ''पीएसएलवी-सी58 के लिए आज सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर उलटी गिनती शुरू हुई.''
एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और 'ब्लैक होल' की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा. इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है.
🚀 PSLV-C58/ 🛰️ XPoSat Mission:
— ISRO (@isro) December 31, 2023
The launch of the X-Ray Polarimeter Satellite (XPoSat) is set for January 1, 2024, at 09:10 Hrs. IST from the first launch-pad, SDSC-SHAR, Sriharikota.https://t.co/gWMWX8N6Iv
The launch can be viewed LIVE
from 08:40 Hrs. IST on
YouTube:… pic.twitter.com/g4tUArJ0Ea
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी की थी ऐसी स्टडी
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था. इसरो ने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा.
वर्तमान सैद्धांतिक मॉडल की सीमाओं को तोड़ने को 'एक्सपोसैट मिशन' तैयार
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एक्सपोसैट मिशन (XPoSat mission) पोलारिमेट्रिक अवलोकनों और स्पेक्ट्रोस्कोपिक मापों के साथ मिलकर काम करते हुए वर्तमान सैद्धांतिक मॉडल की सीमाओं को तोड़ने के लिए तैयार है. ऐसा करने से, शोधकर्ताओं को आकाशीय पिंडों के उत्सर्जन तंत्र को नियंत्रित करने वाली जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न चुनौतियों पर काबू पाने की संभावना है.
यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के सहयोग से विकसित हुआ पोलिक्स
एचटी रिपोर्ट के मुताबिक, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के सहयोग से बैंगलोर (Bangalore) में रामम रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) की ओर से विकसित, पोलिक्स (POLIX) एक एक्स-रे पोलारिमीटर है जिसे 8-30 केवी के ऊर्जा बैंड में खगोलीय अवलोकनों (Astronomical Observations) के लिए डिजाइन किया गया है. उपकरण में एक कोलिमेटर, एक स्कैटरर और चार एक्स-रे आनुपातिक काउंटर डिटेक्टर शामिल होते हैं जो स्कैटरर को घेरे रहते हैं.
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(पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)