MEA On China Pakistan Joint Statement: इस बार चीन और पाकिस्तान दोनों ने एक साथ मिलकर कश्मीर का राग आलापा है. इस पर भारत ने भी दोनों को खरी-खरी सुना दी. विदेश मंत्रालय ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि हम इस तरह के बयानों को अस्वीकार करते हैं. चीन और पाकिस्तान को इस मुद्दे पर भारत की स्थिति के बारे में अच्छी तरह से पता है. ऐसे में किसी भी देश को इस तरह की टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने 7 जून 2024 के चीन और पाकिस्तान के बीच संयुक्त वक्तव्य में जम्मू-कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) को लेकर अनुचित बयानों को देखा है. हम इस तरह के बयानों को अस्वीकार करते हैं. जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हमारी स्थिति साफ है और चीन-पाकिस्तान को ये बात अच्छी तरह से पता है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं और हमेशा रहेंगे. किसी भी अन्य देश के पास इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.”


सीपीईसी पर की कढ़ी टिप्पणी


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संयुक्त बयान में शामिल चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर भी कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘‘इसी संयुक्त बयान में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत गतिविधियों और परियोजनाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें से कुछ भारत के संप्रभु क्षेत्र में हैं, जो पाकिस्तान के जबरन और अवैध कब्जे में हैं.’’


जायसवाल ने कहा, ‘‘हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आघात करने वाले इन क्षेत्रों पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को मजबूत करने या वैध बनाने के लिए अन्य देशों की ओर से किए गए किसी भी कदम का दृढ़ता से विरोध करते हैं और इसे अस्वीकार भी करते हैं.’’


क्या था मामला?


दरअसल, पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ चीन की यात्रा पर गए थे, जहां पर उन्होंने ड्रैगन को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर जानकारी दी. इस पर चीन ने दोहराया था कि जम्मू-कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र चार्टर, प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक उचित और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए.


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