भारत की सलाह, कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजहबी रंग देने से बाज़ आए ओआईसी
सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत की सलाह यही है कि इन चुनौतीपूर्ण समय में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को सांप्रदायिक रंग न दें. ओआईसी ने 19 अप्रैल को जारी एक बयान में भारत को मुसलमानों के अधिकारों की हिफाजत करने और इस्लामोफोबिया पर रोक लगाने को कहा था.
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच भी मजहब की सियासत को खेल रहे इस्लामिक मुल्कों के संगठन ओआईसी के बयानों को भारत ने सिरे से खारिज किया है. भारत में मुसलमानों की सुरक्षा का हवाला देते हुए आए ओआईसी के ताजा बयान को भारत ने तथ्यों से परे और भ्रामक करार दिया है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ओआईसी की तरफ से आया बयान बहुत खेदजनक है. भारत की सलाह यही है कि इन चुनौतीपूर्ण समय में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को सांप्रदायिक रंग न दें. भारत ने अपने संकल्प और समन्वय से इस महामारी के खिलाफ लड़ाई को एक वैश्विक पहल बनाने की कोशिश की है.
महत्वपूर्ण है कि ओआईसी ने 19 अप्रैल को जारी एक बयान में भारत को मुसलमानों के अधिकारों की हिफाजत करने और इस्लामोफोबिया पर रोक लगाने को कहा था. इतना ही नहीं 57 मुस्लिम देशों के संगठन ने
सूत्रों के मुताबिक ओमान की राजकुमारी के नाम से एक फर्जी अकाउंट बनाकर भी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने जैसे प्रयास भी उजागर हुए हैं. यह साफ बताता है कि भारत को बदनाम करने की सोची-समझी कोशिश है. गौरतलब है कि एचएच मोना बिन्त फहाद अल सैद के नाम पर बने ट्विटर अकाउंट से भारत विरोधी ट्वीट किया गया. इस ट्वीट में कहा गया कि भारत यदि अपने यहां मुसलमानों का ध्यान नहीं रख सकता तो ओमान अपने मुल्क में मौजूद दस लाख भारतीयों को निकाल देगा. इस मामले को ओमान के सुल्तान से उठाया जाएगा.
हालांकि बाद में पड़ताल से पता लगा कि यह एक फर्जी ट्विटर हैंडल था जो पाकिस्तान से चलाया जा रहा है. इस ट्विटर हैंडल का ओमान की राजकुमारी से कोई संबंध नहीं था. इस हैंडल को पाकिस्तान फौज के नाम पर चल रहे ट्विटर अकाउंट में ही पहचान बदलकर बनाया गया था.