नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला और उसके स्वागत में आई प्रतिक्रियाएं पाकिस्तान को पच नहीं रही हैं. पाकिस्तान इस फैसले के बहाने भावनाएं भड़काने की कोशिश भी कर रहा है. भारत ने पाकिस्तान के इन नापाक इरादों की कड़ी निंदा के साथ ही उसे भारतीय आंतरिक मामलों से दूर रहने और जहर घोलने की कोशिशों से बाज आने की सलाह दी है.


विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत में सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद पाकिस्तान की तरफ से आए गैर-जरूरी बयान को हम खारिज करते हैं. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एक दीवानी मामला है जो पूरी तरह भारत का आंतरिक विषय है. यह कानून व्यवस्था, सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान से जुड़ा है मगर ऐसी बातें पाकिस्तान के संस्कारों में नहीं हैं. भारत में नफरत फैलाने की मंशा से दिए गए बयान पूरी तरह निंदनीय हैं.


गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने ट्विटर पर बयान जारी कर भारत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए इसे भारत-पाक विभाजन से जोड़ने का प्रयास किया. फैसले से पहले भी गफूर ने अपने निजी ट्विटर हैंडल से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. पाकिस्तान की तरफ से धार्मिक मतभेद बढ़ाने वाले बयान ऐसे वक्त आए जब दोनों देशों के बीच करतारपुर गलियारे को खोला गया. हालांकि करतारपुर गलियारे के उद्घाटन समारोह का इस्तेमाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय मेहमानों की मौजूदगी में कश्मीर मुद्दे पर तान छेड़ने के लिए भी किया.


फैसले पर भारत ने विदेशी राजनयिकों को किया ब्रीफ


इस बीच विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या मामले पर आए फैसले को लेकर विदेशी राजदूतों को भी इसकी जानकारी साझा की. सरकारी सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों विभिन्न मुल्कों के राजदूतों और वरिष्ठ राजनयिकों को इसके बाबत जानकारी दी. राजदूतों की ब्रीफिंग की यह कवायद अहम मामलों पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ सम्पर्क-संवाद बनाए रखने की प्रक्रिया का हिस्सा है. अलग अलग समूहों में करीब 3 घण्टे यह ब्रीफिंग चली.