कश्मीर पर UN की रिपोर्ट को भारत ने बताया सरासर झूठ, कहा- पाकिस्तान के आतंकवाद का जिक्र तक नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की रिपोर्ट को पूरी तरह झूठ करार दिया.
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पर रिपोर्ट को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की कड़ी आलोचना की है. भारत ने कहा कि OHCHR की रिपोर्ट फर्जी और दुर्भावना पर आधारित है. यही नहीं भारत ने कहा कि रिपोर्ट पाकिस्तान से होने वाले सीमापार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी करता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने आज कहा, ''जम्मू कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट में पूर्व के फर्जी, दुर्भावना से प्रेरित बातों को ही बरकरार रखा गया है.'' उन्होंने कहा, ''भारत ने मानवाधिकार के लिए OHCHR की जम्मू कश्मीर पर रिपोर्ट के अपडेट पर सख्त विरोध दर्ज कराया है.''
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त (ओएचसीएचआर) ने कश्मीर पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की थी. उसके बाद आज उसी रिपोर्ट की अगली कड़ी में उसने दावा किया कि ‘‘न तो भारत ने और न ही पाकिस्तान ने उठायी गयी विभिन्न चिंताओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाया.’’
MEA:Situation created by years of cross-border terrorist attacks from Pakistan has been ‘analysed’ without reference to its causality. Update seems to be contrived effort to create artificial parity b/w world’s largest democracy&a country that practices state-sponsored terrorism. https://t.co/ERjjf2un7F
— ANI (@ANI) July 8, 2019
रवीश कुमार ने कहा, ''इस रिपोर्ट में कही गयी बातें भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती हैं और उसमें सीमापार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी की गयी है.''
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कुमार ने कहा, ‘‘वर्षों से पाकिस्तान से जो सीमापार आतंकवाद चल रहा है, उससे उत्पन्न स्थिति का उसकी वजह से होने वालों हताहतों का हवाला दिये बगैर विश्लेषण किया गया है. यह दुनिया के सबसे बड़े और जीवंत लोकतंत्र के साथ आतंकवाद का खुलेआम समर्थन करने वाले देश की कृत्रिम रूप से बराबरी करने की काल्पनिक कोशिश भर है.’’
रिपोर्ट में क्या है? संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने नई रिपोर्ट में कहा है, ‘‘कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मई 2018 से अप्रैल 2019 तक की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 12 महीने की अवधि में नागरिकों के हताहत होने की सामने आयी संख्या एक दशक से अधिक समय में सबसे अधिक हो सकती है.’’
मानवाधिकार कार्यालय ने कहा ‘‘व्यक्त की गई चिंताओं के समाधान के लिए ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान ने ही कोई कदम उठाये.’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कश्मीर में, भारतीय सुरक्षा बलों के सदस्यों द्वारा उल्लंघनों की जवाबदेही वस्तुतः अस्तित्वहीन है.’’