(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आगरा के पैरा ब्रिगेड हॉस्पिटल का दौरा करेंगे दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री, कोरियाई युद्ध में घायल सैनिकों का हुआ था उपचार
उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950-53 में जब युद्ध हुआ था तो उस वक्त भारतीय सेना ने किसी एक देश का साथ देने के बजाए उसमें लगभग तटस्थ भूमिका निभाते हुए अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून को एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजा था.
70 साल पहले कोरियाई युद्ध में घायल सैनिकों का उपचार करने वाले भारतीय सेना के आगरा स्थित पैरा ब्रिगेड हॉस्पिटल का दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री शनिवार को दौरा करेंगे. कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वुक गुरूवार को तीन दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं (25-27 मार्च). अपने दौरे के दौरान उन्होनें दक्षिण कोरिया की तरफ से भारतीय सेना को धन्यवाद देने के लिए उसी पैरा-फील्ड हॉस्पिटल जाने का कार्यक्रम बनाया है जिसने कोरियाई युद्ध (1950-53) के दौरान उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों के घायल सैनिकों का उपचार किया था.
जानकारी के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वुक का तीन दिवसीय भारत का दौरा दोनों देशों के बीच डिफेंस कॉपरेशन बढ़ाना है. इस दौरान वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे से राजधानी दिल्ली में मुलाकात करेंगे. साथ ही राष्ट्रीय समर स्मारक पर बहादुर सैनिकों को श्रृद्धांजलि भी अर्पित करेंगे. इसके अलावा शुक्रवार को दिल्ली कैंट स्थित भारत-कोरियाई ‘फ्रेंडशिप-पार्क’ का भी उद्घाटन करेंगे.
लेकिन कोरियाई रक्षा मंत्री के भारत दौरे का आकर्षण होगा शनिवार (27 मार्च) को आगरा दौरा. कोरियाई रक्षा मंत्री आगरा में भारतीय सेना के पैरा-ब्रिगेड हेडक्वार्टर स्थित 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस (हॉस्पिटल) का खासतौर से दौरा करेंगे. इस दौरान सेना की पैरा-ब्रिगेड कोरियाई रक्षा मंत्री की मौजूदगी में पैरा-जंप सहित अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी. कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वुक राजनीति में आने से पहले कोरियाई सेना के प्रमुख रह चुके हैं (2019-20).
भारत ने एक तटस्थ भूमिका निभाई थी
दरअसल, उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950-53 में जब युद्ध हुआ था तो उस वक्त भारतीय सेना ने किसी एक देश का साथ देने के बजाए उसमें लगभग तटस्थ भूमिका निभाते हुए अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून को एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजा था. ये प्लाटून थी 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस प्लाटून. आपको बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप में हुए इस युद्ध में चीन और अमेरिका सहित कई देशों ने हिस्सा लिया था, जो या तो उत्तर कोरिया का साथ दे रहे थे या फिर दक्षिण कोरिया का, लेकिन भारत ने एक तटस्थ भूमिका निभाई थी.
भारतीय सेना की इस प्लाटून एंबुलेंस ने युद्ध के मैदान में खतरों के बीच घूम-घूम कर घायल सैनिकों का इलाज किया था. इस दौरान भारत के तीन सैनिकों की जान भी चली गई थी और 23 जवान घायल हुए थे. करीब तीन साल तक ये युद्ध चला था (1950-53) और प्लाटून ऐसे ही वहां डटी रही. इस युद्ध में भारत सरकार ने इस प्लाटून के कमांडर, लेफ्टिनेंट कर्नल ए.जी. रंगराज को महावीर चक्र से नवाजा था. यहां तक की कोरियाई युद्ध के 70 साल पूरे होने पर दक्षिण कोरिया ने भी पिछले साल लेफ्टिनेंट कर्नल रंगराज को वॉर-हीरो का खिताब दिया था.
कोरियाई युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में दक्षिण कोरिया ने राजधानी सिओल में वॉर मेमोरियल बनाया है. उस वॉर मेमोरियल में 'भारत' के नाम से अलग स्मारक बनाया गया है और तिरंगा झंडा हमेशा लहराता रहता है. उस स्मारक पर 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेस प्लाटून की उपलब्धियों के बारे में भी लिखा है.
मजबूत हुए हैं भारत और दक्षिण कोरिया के सैन्य संबंध
एबीपी न्यूज संवाददाता जब वर्ष 2017 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे तनाव और विवाद की कवरेज के लिए वहां गए थे तब उस वॉर मेमोरियल पर भी गए थे. इस मेमोरियल में लिखा है कि भारतीय सैनिकों ने कोरियाई युद्ध के दौरान 'लैंड ऑफ मॉर्निंग काम' में आजादी और शांति के लिए अपना खून-पसीना बहाया था जो दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ सबंधों को बयां करता है.
ये फील्ड एंबुलेंस इनदिनों आगरा में तैनात रहती है और जब भी कोई नया कोरियाई राजदूत भारत पहुंचता है वो इस यूनिट में जरूर एक विजिट करता है. उसी कड़ी में शनिवार को कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वॉक भी आगरा का दौरा करेंगे.
पिछले कुछ सालों में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य संबंध काफी मजबूत हुए हैं. हाल ही में भारत ने दक्षिण कोरिया से 100 के-9 वज्र तोपों का सौदा किया था जिन्हें हाल ही में पाकिस्तानी सेना पर तैनात किया गया था और 'सिंधु-सुदर्शन' युद्धभ्यास में दिखाई पड़ी थीं.
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