नई दिल्ली: एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि पिछले चार सालों में सांसदों के वेतन और भत्तों के लिए सरकारी खजाने से 1,997 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर आरटीआई आवेदन पर यह जानकारी मिली है. लोकसभा सचिवालय ने आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा, लोकसभा के सदस्य के लिए औसत 71.29 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि राज्यसभा सदस्य पर 44.33 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.
बता दें कि लोकसभा में 545 सदस्य हैं (543 निर्वाचित और 2 राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इंडियन कम्युनिटी से मनोनीत). जबकि राज्यसभा में 245 सदस्य हैं.
हर साल लोकसभा सांसदों को मिला 71 लाख से ज्यादा का वेतन-भत्ता
साल 2014-15 से लेकर इस साल तक के पिछले चार वित्तीय वर्ष में लोकसभा सदस्यों को वेतन-भत्तों के मद में कुल 1,554 करोड़ रुपये दिए गए. प्रत्येक सांसद को हर साल औसतन 71,29,390 रुपये का भुगतान किया गया.
राज्यसभा सदस्यों को हर साल मिला 44 लाख से ज्यादा वेतन-भत्ता
इसी तरह साल 2014-15 से लेकर इस साल तक में राज्यसभा सदस्यों को चार साल के दौरान कुल 443 करोड़ रुपये का वेतन-भत्ता दिया गया. आंकड़ों की मानें तो प्रत्येक राज्यसभा सदस्य को सालाना 44,33,682 रुपये का वेतन-भत्ता दिया गया है.
इस बीच, एक गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के संस्थापक सदस्य जगदीश छोकार ने कहा कि सांसदों को वेतन और भत्तों का भुगतान करने में सरकार के खजाने पर बढ़ते बोझ की समीक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, यदि सांसदों का वेतन 10 गुना बढ़ जाता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन उन्हें राज्य सरकार से परिवहन, घर, वाहन, भोजन, चिकित्सा, हवाई यात्रा, टेलीफोन और अन्य चीजों के लिए भत्ते नहीं मिलने चाहिए.
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