Infrastructure on LAC: चीन से तनातनी के बीच एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा भारत, जानें कितने बदल गए हालत
चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत एलएसी पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुट गया है. जानिए किस तरह भारत, अरूणाचल प्रदेश से सटे चीन बॉर्डर पर टनल, ब्रिज और सड़कों का जाल बिछा रहा है.
Infrastructure on LAC: चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत एलएसी पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुट गया है. हाल ही में बीआरओ के डीजी ने भी दावा किया था कि एलएसी पर अब भारत और चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई खास अंतर नहीं है. आखिर किस तरह भारत, अरूणाचल प्रदेश से सटे चीन बॉर्डर पर टनल, ब्रिज और सड़कों का जाल बिछा रहा है, ये जानने के लिए एबीपी न्यूज खुद पहुंचा सेला टनल. बता दें कि 1962 के युद्ध में तवांग से बूमला तक भी कोई सड़क नहीं थी, जिसका खामियाजा भारत को हार से उठाना पड़ा था.
सबसे पहले सेला टनल ले चलते हैं. करीब 13 हजार फीट की उंचाई पर सेला टनल के निर्माण का काम बेहद तेजी से चल रहा है. पिछले हफ्ते ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ई-सेरेमनी के जरिए टनल का लास्ट ब्लॉस्ट किया था. बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी बीआरओ के प्रोजेक्ट के तहत अरूणाचल प्रदेश के तेजपुर-टेंगा-रूपा-चारदूर-तवांग रोड को जोड़ने वाली सेना टनल करीब डेढ़ किलोमीटर (1555 मीटर) लंबी है. इसके करीब ही इसकी एक दूसरी टनल है, जो करीब 980 मीटर लंबी है. इस टनल की एस्केप-ट्यूब करीब 980 मीटर लंबी है. फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस 'ऑल-वेदर टनल' की आधारशिला रखी थी. टनल का पहला ब्लास्ट अप्रैल 2019 में किया गया था.
बीआरओ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, कर्नल परीक्षित ने बताया कि सेला टनल को न्यू आस्ट्रियन टनलिंग तकनीक से तैयार किया जा रहा है. इसके तहत सुरंग को स्नो-लाइन से काफी नीचे बनाया जा रहा है, ताकि सर्दियों के मौसम में बर्फ हटाने की जरूरत ना पड़े. रक्षा मंत्रालय का दावा है कि 13 हजार फीट की उंचाई पर ये टनल बनने के बाद दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बन जाएगी.
सेला टनल के बनने से असम के तेजपुर से चीन सीमा से लगे तवांग तक पहुंचने में काफी तेजी आएगी, क्योंकि फिलहाल सेला-पास (दर्रे) पर गाड़ियों की स्पीड काफी कम हो जाती है. सर्दियों के मौसम में भारी बर्फ के कारण करीब तीन महीने तक सेला पास यानी दर्रा बंद हो जाता है, लेकिन टनल बनने के बाद ये रास्ता 12 महीने खुला रहेगा. कर्नल परीक्षत के मुताबिक, अगले साल यानी 2022 के मध्य तक टनल का काम पूरा होने की संभावना है.
टनल के बनने से एलएसी पर तैनात सैनिकों की मूवमेंट भी काफी तेजी से की जा सकती है. सुरंग निर्माण पूरा होने पर अरूणाचल प्रदेश सहित पूरे उत्तर-पूर्व राज्य क्षेत्र का विकास तेजी से होगा. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा या फिर किसी विषम परिस्थिति में सैनिकों के रेस्कयू ऑपरेशन में भी काफी तेजी आएगी. अरूणचल प्रदेश के तवांग और आखिरी बॉर्डर पोस्ट, बूमला तक पहुंचने के लिए एबीपी न्यूज की टीम ने तेजपुर से अपना सफर शुरू किया, तो टेंगा-रूपा तक सड़क अच्छी थी. तेजपुर से तवांग तक नेशनल हाईवे 13 पर कुल दूरी करीब 340 किलोमीटर है. हालांकि, पहले हम हेलीकॉप्टर से ये सफर करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के चलते हमें सड़क-मार्ग से जाना पड़ा.
एनएच-13 पर ही जीरो पास के करीब बीआरओ की एक और टनल बनने का काम जारी है. करीब पांच सौ मीटर लंबी इस नेचिफू सुरंग को भी जल्द बनाने का टारगेट है. सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी और धुंध के कारण जीरो पास से आवाजाही बाधित रहती है. यहां तैनात बीआरओ की अस्टिटेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, श्वेता गुप्ता ने बताया कि नेचिफू टनल भी आस्ट्रियन तकनीक पर बन रही है. जीरो पास से ही एक नई सड़क बनाई गई है, जो अरूणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर तक जाती है. पहले ईटानगर जाने के लिए तेजपुर तक जाना पड़ता था, लेकिन इस सड़क के बनने से तवांग और ईटानगर की दूरी बहुत कम हो गई है.
यहां तक की अब तवांग तक पहुंचने के लिए दो अतिरिक्त हाईवे पर काम शुरू हो गया है. वेस्टर्न एक्सेस आधा बनकर तैयार है, जबकि ईस्टर्न एक्सेस अभी प्लानिंग स्टेज पर है. वेस्टर्न एक्सेस असम की राजधानी गुवाहटी से शुरू होगा और फिर तेजपुर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसे ओएसकेआरटी के नाम से भी जाना जाता है. ये गुवाहटी से ओरांग, कलकटंग, शेरगांव होता हुआ रूपा-टेंगा में एनएच-13 तक मिल जाता है. आने वाले समय में इसे शेरगांव से देरांग और फिर तवांग तक मिलाने की योजना है.
बता दें कि पिछले हफ्ते ही बीआरओ के डीजी, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में दावा किया था कि एलएसी पर भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में चीन की बराबरी कर ली है. अब लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर सड़क, पुल और टनल निर्माण में भारत और चीन में कोई खास अंतर नहीं है. राजीव चौधरी के मुताबिक, पिछले कुछ समय में बीआरओ का बजट लगभग दोगुना हो गया है. जल्द ही बीआरओ का बजट 10-11 हजार करोड़ हो जाएगा (अभी 8763 करोड़ है).
बीआरओ के महानिदेशक के मुताबिक, सेला टनल बनने से अरूणाचल प्रदेश से सटी चीन सीमा तक भारतीय सेना की मूवमेंट तो तेज होगी. साथ ही स्थानीय लोगों को भी आवाजाही में काफी मदद मिलेगी, जिससे राज्य की आर्थिक-समाजिक स्थिति भी बेहतर हो पाएगी. कुछ समय पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने भी बीएसएफ के कार्यक्रम में देश की सीमा-नीति पर विस्तार-पूर्वक जानकारी दी थी. गृह मंत्री के मुताबिक, पिछले छह सालों में यानी 2014-20 के बीच देश की सीमाओं पर छह सुरंगों का सफलतापूर्वक निर्माण किया गया, जबकि 09 टनल्स का निर्माण-कार्य जारी है.
वर्ष 2008-2014 के बीच बॉर्डर पर करीब 3600 किलोमीटर का सड़क निर्माण-कार्य किया गया, जबकि वर्ष 2014-20 के बीच 4764 किलोमीटर का निर्माण हुआ. सीमावर्ती सड़कों का बजट भी इस अवधि में 23 हजार करोड़ से बढ़कर 47 हजार करोड़ हो गया. वर्ष 2008-14 के बीच करीब 7000 मीटर पुलों का निर्माण हुआ था, जबकि पिछले छह सालों में ये निर्माण दोगुना यानी 14000 मीटर हो गया. यहां तक कि 2008-14 में सीमा पर केवल एक सुरंग का निर्माण हुआ था, जबकि 2014-20 के बीच छह सुरंगों का निर्माण किया गया.
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