ड्रग्स तस्करी के 'गोल्डन क्रेसेंट' और 'डेथ ट्राएंगल' के बीच फंसा भारत, कैसे जीतेगा अपनी जंग
अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल ने मछुआरों को अपने कोरियर के रूप में उपयोग किया है. LTTE के पतन के बाद, इस मॉडल को अन्य ड्रग कार्टेलों ने अपनाया.
India Drugs Smuggling: भारत इस वक्त ड्रग्स तस्करी के मकड़जाल में बुरी तरह से फंसा हुआ है. पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान से लगातार ड्रग्स की तस्करी हो रही है. बीते कुछ समय की ही बात करें तो भारतीय जांच एजेंसियों ने नशा तस्करी की बड़ी खेपों को बरामद किया है. मार्च, 2021 में तिरुवनंतपुरम में स्थानीय पुलिस ने 6 श्रीलंकाई को 300 किलोग्राम हेरोइन, पांच एक-47 के साथ गिरफ्तार किया था. बाद में इस मामले में की जांच NCB को सौंपी गई.
इसके बाद, तमिलनाडु पुलिस ने नवंबर 2022 में एक DMK पार्षद को रामनाथपुरम से श्रीलंका में 200 करोड़ रुपये से अधिक के कोकीन की तस्करी के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया था. फिर दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के लिए विशेष शिविर से 9 श्रीलंकाई लोगों को ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया.
इसी के साथ, भारत में अब कुख्तात अपराधी और ड्रग तस्कर मोहम्मद इमरान की एंट्री भी हो गई है. मोम्मद इमरान को 'कांजी पनाई' के नाम से भी जाना जाता है. सूचना मिलने के बाद जांच एजेंसियों ने तमिलनाडु को सतर्क और कड़ी निगरानी में रखा है. रिपोर्ट्स से यह भी पता चलता है कि ड्रग्स तस्करी के लिए गंतव्य बिंदु भारत और श्रीलंका हैं. वहीं ड्रग्स की खेंप पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आती है.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र के अन्य देशों के लिए नशीले पदार्थों का एक प्रमुख स्रोत है. पाकिस्तान अफीम उत्पादन के लिए तथाकथित "गोल्डन क्रेसेंट" या "डेथ ट्राएंगल" देशों में शामिल है. तमिलनाडु और केरल पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी के प्रमुख ठिकाने बन गए हैं. इसके मुख्य कारणों में से एक लंबी तटरेखा और चेन्नई और कोच्चि में बड़े बंदरगाहों का अस्तित्व है. दूसरा कारण यह है कि इन बंदरगाहों से दवाओं को श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण में ले जाना आसान है.
श्रीलंका में भी तस्करी का बड़ा नेटवर्क
श्रीलंका, जो भारत के दक्षिणी तट पर स्थित है, पाकिस्तान से तस्करी की जाने वाली दवाओं के लिए एक प्रमुख गंतव्य है. देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग का इतिहास रहा है और अवैध नशीले पदार्थों की मांग बहुत अधिक है. श्रीलंका का तटीय स्थान और भारत से इसकी निकटता इसे मादक पदार्थों के तस्करों के लिए एक प्रमुख स्थान बनाती है.
डेथ ट्राएंगल देशों में ऐसे पहुंचाई जाती है ड्रग्स
"गोल्डन क्रेसेंट" के अलावा, भारत के प्रमुख बंदरगाहों से "डेथ ट्राएंगल" देशों (म्यांमार, थाईलैंड और लाओस) में भी बड़ी मात्रा में नशीली दवाओं की सप्लाई की जाती है. इन देशों में अपने नेटवर्क चलाने वाले स्थानीय ड्रग लॉर्ड्स की संख्या और विदेशी पर्यटकों की आमद के कारण यह एक 'हॉट रूट' है. मलेशिया और फिलीपींस भी इससे प्रभावित हैं.
नेटवर्क कैसे काम करता है?
अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल ने मछुआरों को अपने कोरियर के रूप में उपयोग किया है. इन्हीं मछुआरों को पहले लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) की ओर से भारत में हेरोइन लाने और श्रीलंका में बेचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. लिट्टे के पतन के बाद, इस मॉडल को अन्य ड्रग कार्टेलों ने अपनाया. श्रीलंका में हेरोइन की अधिक मांग ने भी इन कार्टेलों को देश तक पहुंचने के लिए भारतीय मार्ग का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया.
इन गतिविधियों को लेकर कई बार जांच की जा चुकी है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने पाया कि ड्रग्स अफगानिस्तान में निर्मित होती है, पाकिस्तान में तस्करी की जाती है और फिर पंजाब में छोड़ी जाती है. वहां से उन्हें अंतरराज्यीय ट्रकों पर लोड किया जाता है और पूरे देश में वितरित किया जाता है. अधिकांश निम्न-गुणवत्ता वाली दवाएं श्रीलंका में प्रवेश के निकटतम बिंदु रामनाथपुरम के बंदरगाह तक पहुंचती हैं.
ऑस्ट्रेलियाई सामरिक नीति संस्थान के अनुसार, कोलंबो और मालदीव के माध्यम से यूरोप के मार्ग के साथ घरेलू उपयोग और ट्रांसशिपमेंट दोनों के लिए श्रीलंका में दवाओं की तस्करी की जाती है. तमिलनाडु-केरल-श्रीलंका मार्ग पर अवैध तस्करी कोई नई बात नहीं है. यह दशकों से अस्तित्व में है, खासकर उन वर्षों के दौरान जब लिट्टे का गठन हुआ और फलना-फूलना शुरू हुआ.
डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे ड्रग कार्टेल
भारत के NCB के अनुसार, हेरोइन जैसी अफीम-आधारित दवाओं की तस्करी "गोल्डन क्रेसेंट" क्षेत्र से शुरू होती है और "डेथ ट्राएंगल" क्षेत्रों तक पहुंचती है. इसकी ज्यादातर सप्लाई समुद्री मार्गों से होती है. वहीं, अब ड्रग नेटवर्क ने बड़े पैमाने पर ऑर्डर और लेनदेन के लिए डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करना शुरू कर दिया है. एनसीबी के मुताबिक, विशेष रूप से हेरोइन और कोकीन में नाइजीरिया, अफगानिस्तान और म्यांमार के बहुत सारे विदेशी नागरिक शामिल हैं.
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