नई दिल्ली: पाकिस्तान में सिख लड़कियों के गायब होने की घटनाओं पर भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के वरिष्ठ राजनयिक को तलब कर सख्त नाराज़गी जताई है. खासतौर पर गुरुद्वारा पंजा साहिब के ग्रंथी की बेटी बुलबुल कौर को लेकर भारत ने अपना ऐतराज दर्ज कराया जो बीते 15 दिनों से लापता है. इस मामले को लेकर सिख समुदाय के लोगों ने भी सोमवार को दिल्ली में पाक उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया.


सरकारी सूत्रों के मुताबिक बुलबुल कौर की गुमशुदगी और उसका पता लगाने में पाक सरकार की निष्क्रियता पर सोमवार को एक बार फिर भारत ने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया. इससे पहले शुक्रवार को भी भारत ने पाक राजनयिक को तलब कर न केवल अपनी नाराज़गी दर्ज कराई थी, बल्कि 48 घंटे के भीतर पता लगाने का भी आग्रह किया था.


गौरतलब है सिखों के पवित्र गुरुद्वारे पंजा साहिब के ग्रंथी प्रीतम सिंह की बेटी बुलबुल कौर बीते करीब 15 दिनों से गायब है. सिख नेताओं के मुताबिक बुलबुल कौर 31 अगस्त को रात 10 बजे अपने घर के करीब ही कचरा फेंकने गई थी. मगर उसके बाद वापस नहीं लौटी. परिवार द्वारा मामले पर पुलिस-प्रशासन के पास शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अभी तक बुलबुल की कोई खबर नहीं है. परिजनों को डर है कि बुलबुल का जबरन धर्म परिवर्तन कर उसकी शादी किसी मुस्लिम व्यक्ति से न कर दी गई हो.


पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात को लेकर वैश्विक स्तर से उठने वाली चिंताओं के बावजूद सरकारी सरपरस्ती में पलने वाले धर्मांध तत्वों के अल्पसंख्यक धर्मांतरण का गोरखधंधा बेरोकटोक तरीके से काम कर रहा है. बीते दिनों पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में पंजाब, सिंध के इलाके में हिन्दू, सिख समेत धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों, अपहरण व जबरन धर्मांतरण के मामलों को उठाया गया था.


जनवरी 2020 में पाक सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार रक्षण पर दिए अदालती फैसलों को लागू कराने के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था. इसके अलावा नवम्बर 2019 में एक 22 सदस्यों वाला सर्वदलीय ससंदीय समूह भी जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बनाया गया था. हालांकि इन उपायों का ज़मीनी असर बेनतीजा ही रहा.


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