India Taiwan Trade: ताइवान (Taiwan) के अनौपचारिक राजदूत बौशुआन (Baushuan Ger) गेर ने कहा है कि भारत (India) और ताइवान को प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से दोनों देशों के बीच व्यापार (Trade) और निवेश (Investment) के सभी अवरोधक हट जाएंगे और एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला (Flexible Supply Chain) बनाने में मदद मिलेगी.


ताइवानी प्रतिनिधि ने कहा कि उनका देश सेमीकंडक्टर, 5जी, सूचना सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे अहम क्षेत्रों में भारत के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करना चाहता है. उन्होंने कहा कि ताइवान, भारत की हाई टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन विकसित करने में बहुत अच्छा साझेदार हो सकता है. उन्होंने कहा कि ताइवान, भारत समेत समान विचारधारा वाले व्यापारिक साझेदारों के साथ एफटीए पर सक्रियता से काम कर रहा है. ताइवानी प्रतिनिधि ने नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के समर्थन को दोहराया.


ताइवानी राजदूत ने क्या कहा


गेर ने कहा, ‘‘एफटीए पर हस्ताक्षर से व्यापार और निवेश के सभी अवरोधक हट जाएंगे और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही इससे ताइवान की कंपनियों को उत्पादन का आधार स्थापित करने के लिए भारत में निवेश करने, भारत निर्मित उत्पादों को दुनियाभर में बेचने और भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र में बदलने में मदद मिलेगी.’’


उनकी ये टिप्पणियां ऐसे वक्त आई हैं जब चीन ने 2.3 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस स्व-शासित द्वीप के खिलाफ सैन्य आक्रामकता तेज कर दी है. दरअसल, अगस्त में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी. चीन, ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और उसने पेलोसी की ताइवान यात्रा पर कड़ी नाराजगी जताई थी. तब से चीन, ताइवान के खिलाफ लगातार आक्रामक रुख अपनाए है. चीन की आक्रामकता से वैश्विक चिंता पैदा हो गई है.


भारत की योजना में ताइवानी कंपनियों की दिलचस्पी


ताइवान दुनियाभर में सेमीकंडक्टर का प्रमुख उत्पादक है और कुछ ताइवानी कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र के लिए 76,000 करोड़ रुपये की भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना में दिलचस्पी दिखायी है. गेर ने कहा, ‘‘द्विपक्षीय निवेश और व्यापार सहयोग बढ़ाने के लिए अब वक्त आ गया है कि ताइवान और भारत सुरक्षित और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए जल्द से जल्द एफटीए पर हस्ताक्षर करने पर विचार करें.’’


गौरतलब है कि भारत के ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध हैं. नई दिल्ली ने 1995 में ताइपे में दोनों पक्षों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए भारत-ताइपे संघ (ITA) की स्थापना की थी. ताइवानी राजदूत ने कहा कि बदलते अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए भारत के पास आपूर्ति श्रृंखला के बदलाव में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका है.


भारत-ताइवान के बीच व्यापारिक सहयोग ऐसे होगा फायदेमंद


बौशुआन गेर ने कहा कि ताइवान के पास सेमीकंडक्टर समेत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में व्यापक आपूर्ति श्रृंखलाएं और ईको सिस्टम हैं और करीबी व्यापारिक सहयोग दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा. उन्होंने कहा कि ताइवान को सेमीकंडक्टर और अमेरिका की ओर से मान्यता प्राप्त 5जी, क्लीन नेटवर्क प्रौद्योगिकी के साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सूचना सुरक्षा और स्मार्ट सिटी प्रौद्योगिकी समेत इलेक्ट्रॉनिक  मैन्युफैक्चरिंग में बढ़त हासिल है.


उन्होंने कहा कि भारत की हाई-टेक आपूर्ति श्रृंखला और उत्पाद विकास के लिए ताइवान एक ‘उत्कृष्ट’ साझेदार हो सकता है. गेर ने कहा कि लोकतंत्र के रक्षक के तौर पर ताइवान नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करता रहा है.


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