Chief Ministers Change In Indian State: बीते 13 महीनों में देश के छह राज्यों में बिना चुनाव के बदल गए मुख्यमंत्री, यहां देखें पूरी लिस्ट
Chief Ministers Changed: सियासत का खेल अजीबोगरीब होता है. इसकी अनिश्चतता को लेकर कोई कुछ नहीं कह सकता. देश में 13 महीनों में 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों का बदलना इसकी असल कहानी बयां करता है.
Why Indian State's Chief Ministers Changed: देश में बीते कुछ महीनों से एक अजीबोगरीब ट्रेंड देखने को मिला है. एक साल एक महीने यानी 13 महीने के अंदर देश में छह राज्यों के मुख्यमंत्री बदल गए हैं. वजह कुछ भी रही हो, लेकिन इसमें एक बात आम है कि इन छहों राज्यों में बगैर विधान सभा चुनावों के अपने राज्य के मुख्यमंत्रियों को बदलते देखा है. जिन छह राज्यों में बगैर चुनाव के मुख्यमंत्री बदले हैं उन राज्यों में बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तराखंड और अब झारखंड के मुख्यमंत्री भी बदलने के लिए तैयार हैं. यहां हम हालिया मामले झारखंड (Jharkhand) से शुरुआत करते हैं.
क्यों बदल सकते हैं झारखंड के मुख्यमंत्री
झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने (Hemant Soren) की विधासभा सदस्यता (Assembly Membership) रद्द करने सिफारिश भेजी गई है. राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) को सोरेन की सदस्यता रद्द करने की ये सिफारिश केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने भेजी है. सीएम सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश एक खनन लीज (Mining Lease) को अपने नाम करवाने के मामले में की गई है. संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने का अंतिम फैसला राज्यपाल का होता है. राज्यपाल के फैसला लेते ही विधानसभा की सदस्यता रद्द होने की स्थिति में हेमंत सोरेन को अपनी सीएम कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. ऐसे में इस राज्य में भी मुख्यमंत्री बदलने की ये प्रक्रिया बगैर चुनावों के ही संपन्न हो जाएगी.
क्यों बदले बिहार के सीएम
बिहार (Bihar) में इस महीने 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और 10 अगस्त को दोबारा से 8वीं बार मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद की शपथ ली. यहां भी बगैर चुनावों के नीतीश मुख्यमंत्री बने. हालांकि नौ अगस्त से पहले भी और उसके बाद भी नीतीश ही सीएम बने, लेकिन दूसरी बार नीतीश कुमार ने बीजेपी से नेता तोड़कर सीएम पद से इस्तीफा दिया था और सदन में विश्वास मत हासिल कर सीएम पद की शपथ ली. नीतीश के बीजेपी से नाता तोड़ने की वजह मतभेदों रहे. गौरतलब है कि 2020 में राज्य विधानसभा चुनाव में जेडीयू को कम सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी ने उन्हें समर्थन देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था. केवल दो साल बाद ही बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन में मतभेद उभरे और ये गठबंधन टूट गया.
शिवसेना के बगावती शिदें बने सीएम
इस साल 2022 महाराष्ट्र (Maharashtra) का सियासी बबाल पूरे देश में चर्चा का मुद्दा रहा. शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने बागी विधायकों की फौज के बल पर वहां के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को उनकी कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. शिवसेना (Shiv Sena) के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने गुरुवार 1 जुलाई की शाम महाराष्ट्र के नए सीएम पद की शपथ ली. तब शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे के बगावती तेवरों से महा विकास आघाड़ी सरकार के गिरने के आसार पैदा हुए और आखिर में वो गिर ही गई. इस बगावत की एक बड़ी वजह शिवसेना का एनसीपी से गठबंधन रहा था.
उत्तराखंड जहां बगैर चुनाव के बदले सीएम
जब उत्तराखंड (Uttarakhand) का मुख्यमंत्री बनते ही 114 दिनों के कार्यकाल के बाद तीरथ सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया था. गौरतलब है कि उस वक्त तीरथ सिंह रावत के जींस वाले बयान से सियासी हलकों में भूचाल आ गया था. इसके बाद पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को नया मुख्यमंत्री बनाया गया. उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जिसने अपने बनने के बाद लगभग 21 वर्षों में 11 वें मुख्यमंत्री का कार्यकाल देखा. राज्य के 11 वें मुख्यमंत्री के तौर पर 4 जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी शपथ ली. 46 साल के धामी उत्तराखंड के सबसे युवा सीएम के तौर पर जाने जाते हैं. ये सीएम धामी की किस्मत कहें या बीजेपी का उन पर विश्वास कि उन्होंने दोबारा से 23 मार्च 2022 को सीएम पद की शपथ ली. उनके दोबारा सीएम की पारी राज्य में विधान सभा चुनावों के बाद शुरू हुई थी. हालांकि विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी को करारी हार मिली थी, लेकिन उसके बाद भी वो सीएम बनाए गए. अपनी इस हार की कसर उन्होंने जून 2022 के उपचुनाव में पूरी कर डाली. चम्पावत उपचुनाव में उन्होंने 93 फीसदी वोट से जीत हासिल की थी. तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार निर्मला गहतोड़ी को 55 हजार से अधिक वोट से हराया था.
कर्नाटक में भी बदले सीएम
कर्नाटक (Karnataka) में 28 जुलाई 2021 में बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) के सीएम बनते ही राज्य में बसवराज सरकार की शुरुआत हो गई थी. उन्होंने राज्य के 23वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. इस पद की शपथ लेने से पहले उन्होंने येदियुरप्पा सरकार में गृह और कानून जैसे अहम मंत्रालय संभाले थे. इस दौरान कर्नाटक में बीएस. येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद बीजेपी (BJP) ने बसवराज एस बोम्मई को विधायक दल के नेता के तौर पर चुना था. उन्हें बीएस. येदियुरप्पा का अजीज माना जाता है, यही वजह थी कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उन्हें फायदा मिला. वह भी बीएस. येदियुरप्पा की तरह लिंगायत समुदाय से हैं, उनके पिता एस.आर. बोम्मई भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. बीएस. येदियुरप्पा के सीएम के तौर पर सभी कार्यकाल विवादों से घिरे रहे. शुरू से ही पार्टी के सीनियर नेता येदियुरप्पा का विरोध कर रहे थे. इसके साथ ही पार्टी हाईकमान का दबाव भी था और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे. यही वजह रही कि उन्हें न चाहते हुए भी इस्तीफा देना पड़ा.
जब गुजरात में भूपेंद्र पटेल ने संभाली कमान
गुजरात (Gujarat) में विजय रुपाणी ने शनिवार 11 सितंबर 2021 को अचानक सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद 12 सितंबर 2021 को भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) को बीजेपी विधायक दल के नए नेता के तौर पर चुना गया और 13 सितंबर 2021 को उन्होंने सीएम पद की शपथ ले ली. उस वक्त भूपेंद्र पटेल घाटलोदिया सीट से विधायक थे. दरअसल, विजय रुपाणी के इस्तीफे को लेकर उस वक्त काफी अटकले लगीं थीं. इसके पीछे उनके पांच साल के सीएम पद का कार्यकाल पूरा करने की बात की जा रही थी, लेकिन सूत्रों कह रहे थे कि राज्य संगठन की रिपोर्ट विजय रुपाणी के खिलाफ थी. माना जा रहा था कि उनके नेतृत्व में आने वाला विधानसभा चुनाव 2022 जीतना नामुमकिन था, इसलिए उन्हें किनारे किया गया था.
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