नई दिल्ली: भारत को अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए ‘मास्को फॉर्मेट’ में सम्मिलित होने का न्योता मिला है और वह 20 अक्टूबर को होने वाली बातचीत में शामिल होगा. विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. अगस्त में तालिबान का अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद यह पहला ‘मास्को फॉर्मेट’ सम्मेलन होगा.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमें अफगानिस्तान पर 20 अक्टूबर को होने वाले मास्को फॉर्मेट के लिए न्योता मिला है. हम इसमें शामिल होंगे.” उन्होंने कहा, “मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता कि कौन शामिल होगा लेकिन इसकी संभावना है कि संयुक्त सचिव स्तर का कोई अधिकारी इसमें भाग लेगा.” अफगान मुद्दों पर रूस 2017 से मास्को फॉर्मेट का आयोजन करता रहा है.


तुर्की से पहली उच्च स्तरीय वार्ता करेगा तालिबान


वहीं, इस बीच अफगानिस्तान के नए तालिबान शासकों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल तुर्की के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए यहां पहुंच चुका है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, तुर्की की राजधानी अंकारा में यह तालिबान और तुर्की सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच पहली बैठक होगी. तालिबान के प्रवक्ता ने बताया कि उसके प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुताकी कर रहे हैं.


इससे पहले, इस हफ्ते की शुरुआत में कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के नेताओं ने अमेरिका, दस यूरोपीय देशों और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें की थीं. तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने जी-20 की डिजिटल तरीके से हुई बैठक में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तालिबान के साथ वार्ता के दरवाजे खुले रखना चाहिए ताकि उन्हें धैर्यपूर्वक और धीरे-धीरे और अधिक समावेशी सरकार स्थापित करने की दिशा में बढ़ाया जा सके. तालिबान का कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय मान्यता पाना चाहता है. उसने आगाह किया है कि उनकी सरकार के कमजोर करने का असर सुरक्षा पर पड़ेगा.



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