म्यांमार को पनडुब्बी देगा भारत, आईएनएस सिंधुवीर होगी म्यांमार नौसेना की पहली सबमरीन
आईएएनएस सिंधुवीर म्यांमार सेना के बेड़े का हिस्सा बनने वाली पहली पनडुब्बी होगी. आईएएनएस सिंधुवीर एक डीज़ल इलेक्ट्रिक किलो क्लास सबमरीन है.
नई दिल्ली: भारत ने पड़ोसी म्यांमार को अपनी एक पनडुब्बी देने का फैसला किया है. अहम पड़ोसियों के साथ साझेदारी को रक्षा सहयोग के सहारे मजबूत करने के कड़ी में भारत ने भारतीय नौसैनिक बेड़े से आईएनएस सिंधुवीर को लीज पर देने का फैसला होगा.
भारत सरकार के इस अहम रणीतिक फैसले की पुष्टि करते हुए विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि यह निर्णय सभी के लिए सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने वाले SAGAR दृष्टिकोण के अनुसार है. साथ ही यह सभी पड़ोसी देशों में क्षमता और आत्मनिर्भरता विकसित करने के भारतीय संकल्प के भी अनुरूप है.
आईएएनएस सिंधुवीर एक डीज़ल इलेक्ट्रिक किलो क्लास सबमरीन है और यह म्यांमार सेना के बेड़े का हिस्सा बनने वाली पहली पनडुब्बी होगी. इतना ही नहीं भारत के किसी दूसरे देश को पनडुब्बी देने का भी यह पहला अवसर होगा. म्यांमार सेना को पनडुब्बी देने के फैसले की घोषणा सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और विदेश सचिव डॉ हर्षवर्धन श्रृंगला की हालिया यात्रा के बाद की गई है.
आईएनएस सिंधुवीर देने के फैसले की जमीन फरवरी 2020 में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की यात्रा के दौरान तैयार की गई थी. वहीं इस बाबत अहम फैसला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और म्यांमार के सेना प्रमुख सीनियर जनरल ओंग हलियांग के बीच 25 जून 2020 को मॉस्को में हुई मुलाकात के बाद लिया गया था. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब भारत ने पड़ोसी देश म्यांमार को सैन्य मदद देने का फैसला किया है.
भारत ने म्यांमार को जहां 105 एमएम लाइट आर्टिलरी गन, रॉकेट लांचर, राइफल, मोर्टार, बेली ब्रिज समेत अनेक सैन्य साजो-सामान दिए हैं. वहीं टारपीडो आपूर्ति के लिए भी दोनों देशों के बीच में करार हुआ है.
म्यांमार की सेना यूं तो लंबे समय तक चीन से होने वाली सैन्य साजो-सामान की सप्लाई पर निर्भर रही है. लेकिन बीते करीब एक दशक के दौरान म्यांमार ने अपनी चीन पर निर्भरता को कम करते हुए विकल्पों का दायरा बढ़ाया है.